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रोते-रोते हंसना कुछ इनसे सीखो

रोते-रोते हंसना कुछ इनसे सीखो
रोते-रोते हंसना कुछ इनसे सीखो

 

वह स्कूल के मेधावी छात्र माने जाते थे। एक बार स्कूल में कहानी प्रतियोगिता आयोजित की गई। कहानी लिखने के लिए महीने भर का समय दिया गया। उस छात्र को ही नहीं बल्कि उसके अध्यापकों को भी पूरा भरोसा था कि पुरस्कार उसी को मिलेगा।

लेकिन उस छात्र को केवल एक कहानी लिखने के लिए महीने भर का समय देना भारी मूर्खता प्रतीत हुई। जब दो दिन रह गए तो उसने आनन-फानन में एक कहानी लिखी और दे दी। जिस दिन पुरस्कार की घोषणा होनी थी। उस दिन वह छात्र बड़े उल्लास के साथ स्कूल पहुंचा।

परिणाम घोषित हुआ। प्रथम पुरस्कार उसे नहीं किसी और को मिला। मायूस होकर वह छात्र अपने घर गया और रोने लगा। उसकी बड़ी बहन ने जब देखा तो वह समझ गई कि अब रोने से कुछ नहीं होगा।

इसके बाद उसने अपने भाई से कहा कि अब रोने से कोई फायदा नहीं अगर सचमुच तुझे पराजय का दुःख है तो इसे आगे बढ़ने की पहली सीढ़ी मान ले। भविष्य में इस भूल को मत दोहराना । बड़ी बहन की इस सीख ने उसकी आंखें खोल दीं।

In English

He was considered a meritorious student of the school. Once the story competition was organized at the school. A month-long time to write a story was given. Not only that student, but its teachers also had complete confidence that the award would be given to them.

But the student seemed to be stupid to give a month’s time to write only one story. When he stayed for two days, he wrote a story and gave it to him. The day the prize was to be announced. That day the student reached school with great glee.

The results were announced. The first prize did not get him anybody else. Desperate, the student went to his house and started crying When his elder sister saw it, she understood that nothing would stop by crying.

After this, he told his brother that now crying is of no avail if you really have the grief of defeat, then consider it the first step to move forward. Do not repeat this mistake in the future. This older sister’s learning opened her eyes.

In the future, here is the world famous literature by the name of Ernest Hemingway. He was later awarded the Nobel Prize for Literature.

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