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बापू से जानिए अहिंसा और कायरता में अंतर

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महात्मा गांधी जी के आश्रम में लड़कियां भी रहती थीं। एक दिन वे लौट रही थीं। रास्ते में कुछ लड़के उन्हें परेशान करने लगे। लड़कियां घबरा गईं और भागती हुईं आश्रम पहुंची।

उन्होंने बापू को सारी बात बताई। बापू बोले, ‘तुम भाग क्यों आईं? हिम्मत से वहीं ठहरना था और उन लड़कों को दो-चार चपत लगानी चाहिए थी।’

यह सुनकर लड़कियां चकित रह गई, क्यों कि बापू ने हमेशा अहिंसा का पाठ पढ़ाया था। वे आज हाथ उठाने की बात कैसे कर सकते हैं।

गांधीजी लड़कियों की चिंता को भांप गए और बोले, अहिंसा बहादुरों का हथियार है। यह कोई नहीं समझता। अहिंसा के परदे में अपनी कमजोरी नहीं छिपानी चाहिए।

वह कायरता है। तुम लोगों का बिना मुकाबला कर यहां आ जाना, डर है। इसलिए कहा भी गया है कि हाथ उठा देना, क्योंकि अपनी रक्षा तो सबसे जरूरी है।

In English

There were also girls in Mahatma Gandhi’s ashram. One day he was returning. On the way some boys started bothering them. The girls were scared and the ashram ran away.

They told Bapu everything Bapu said, ‘Why did you come to the part? There was to be the courage to stay there and those boys should have got four-wheelers. ‘

Girls were amazed to hear this, because Bapu always taught the lessons of non-violence. How can they talk of lifting hands today?

Gandhiji came to know the anxiety of girls and said, non-violence is the weapon of brave warriors. Nobody understands it Nonviolence should not hide its weakness in the screen.

She is cowardly. You are afraid to come here without facing people, fear. It has been said therefore, to lift the hand, because its defense is most important.

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