लोह तू लगा श्याम से
मुशकिल हो चाहे कितनी बड़ी भी कट जाए आराम से
लोह तू लगा श्याम से……
चिंतन करो तुम चिंता करेगा तेरी हर घड़ी संवारा
दिल तू लगा ले हर पल निभाये तेरी दिल लगी संवारा,
जग से छुपाये विरते हो जो भी वो तुम कहो श्याम से
लोह तू लगा श्याम से…..
क्यों मन वन्वारे तू धीरज गवाए फिर रहा माया गाव में,
जग धुप है ये क्यों जल रहा तू आजा श्याम छाव में
जिस ने शरण ली प्रभु ने खबर ली
आया सदा थामने
लोह तू लगा श्याम से……
तेरी कामना वो पहचान लेगा
केहना भी जरुरी नही
कमी कुछ न होगी तेरी जिन्दगी ये रहेगी अधूरी नही
गोलू रुके न रफ़्तार उनकी जिनको गति श्याम दे
लोह तू लगा श्याम से……..