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मृत्यु से भी बड़ा होता है प्रेम

भगवान बुद्ध एक बार उपदेश देने एक गांव में पहुंचे। वहां उनके पड़ाव का अंतिम दिन था। तब वह उस गांव के एक व्यक्ति के यहां पहुंचे। वो गरीब था। उसके पास भगवान बुद्ध के आतिथ्य के लिए कुछ भी न था। तब उसने घर के बाहर देखा।

जहां उसकी नजर बरसात में भीगी लकड़ियों पर पड़ी, जिन पर कुकुरमुत्ता( मशरूम) लगे हुए थे। उसने उन्हें तोड़ा और बड़े ही प्रेमपूर्वक उनकी सब्जी बनाई। लेकिन उस गरीब को पता नहीं था की मशरूम काफी कड़वे जहर के समान थे। वह बुद्ध से पूछता कि कैसा है भोजन? और बुद्ध कहते बहुत ही स्वादिष्ट।

मशरूम जहरीले थे। जिसके कारण उसका जहर बुद्ध के शरीर में फैल गया। यह देख उस व्यक्ति ने वैद्य को बुलाया। वैद्य ने बुद्ध से कहा, कि जब आपको मशरूम कड़वे लगे तब आपने उस व्यक्ति से क्यों नहीं कहा।

बुद्ध ने थोड़ा मुस्कुराए और बोले, ‘मौत के लिए प्रेम को कैसे रोक देता?’ मैनें प्रेम को आने दिया और मृत्यु को स्वीकार किया।

संक्षेप में

सच्चा प्रेम ऐसा ही होता है जिसमें आप जहर पीने में संकोच नहीं करते। बुद्ध संसार के हर प्राणी से इतना प्रेम करते थे।

Hindi to English

Lord Buddha once arrived in a village to preach. There was the last day of their stay there. Then he arrived at a person from that village. He was poor. He had nothing for Lord Buddha’s hospitality. Then he looked outside the house.

Where she was caught on a rush of timber in the rainy season, which was set on mushrooms. He broke them and lovingly made their vegetables. But the poor did not know that mushrooms were very bitterly poisonous. He asks Buddha how is food? And Buddha says it is very tasty.

Mushrooms were poisonous. Because of which his poison spread to the body of the Buddha. Seeing that the person called the Vaidya. Vaidya said to Buddha, why did not you say to that person when you started biting Mushrooms?

Buddha smiled a little and said, ‘How do you stop love for death?’ I let love come and accept death.

in short

True love is the same in which you do not hesitate to drink poison. Buddha loved so much from every creature in the world.

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