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माँ दुर्गा की कहानियां व प्रेरक-प्रसंग ( ‘Stories and inspiration from Mata Durga’)

जय माता दी

आइये नवरात्र के शुभ अवसर पर हम माँ दुर्गा से जुड़े कुछ बेहद रोचक व भक्तिपूर्ण प्रेरक प्रसंगों को जानते हैं और माँ की आराधना करते हैं। सबसे पहले माँ दुर्गा के नौ रूपों के नाम जानते हैं:

 दुर्गा माँ के नौ रूप

  1. माँ शैलपुत्री
  2. माँ ब्रह्मचारिणी
  3. माँ चन्द्रघण्टा
  4. माँ कुष्मांडा
  5. माँ कालरात्रि
  6. माँ कात्यायनी
  7. माँ सिद्धिदात्री
  8. माँ महागौरी
  9. माँ स्कंदमाता

प्रेरक प्रसंग #1: क्यों माता शक्ति (माँ भगवती) का नाम दुर्गा पड़ा.

पुरातन काल में दुर्गम नाम का एक अत्यंत बलशाली दैत्य हुआ करता था। उसने ब्राहमाजी को प्रसन्न कर के समस्त वेदों को अपनें आधीन कर लिया, जिस कारण सारे देव गण का बल क्षीण हो गया। इस घटना के उपरांत दुर्गम नें स्वर्ग पर आक्रमण कर के उसे जीत लिया।और तब समस्त देव गण एकत्रित हुए और उन्होने देवी माँ भगवती का आह्वान किया और फिर देव गण नें उन्हे अपनी व्यथा सुनाई। तब माँ भगवती नें समस्त देव गण को दैत्य दुर्गम के प्रकोप से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया।

माँ भगवती नें दुर्गम का अंत करने का प्रण लिया है, यह बात जब दुर्गम को पता चली तब उसने सवर्ग लोग पर पुनः आक्रमण कर दिया। और तब माँ भगवती नें दैत्य दुर्गम की सेना का संहार किया और अंत में दुर्गम को भी मृत्यु लोक पहुंचा दिया। माँ भगवती नें दुर्गम के साथ जब अंतिम युद्ध किया तब उन्होने भुवनेश्वरी, काली, तारा, छीन्नमस्ता, भैरवी, बगला तथा दूसरी अन्य महा शक्तियों का आह्वान कर के उनकी सहायता से दुर्गम को पराजित किया था।

इस भीषण युद्ध में विकट दैत्य दुर्गम को पराजित करके उसका वध करने पर माँ भगवती दुर्गा नाम से प्रख्यात हुईं।

प्रेरक प्रसंग #2: माँ दुर्गा नें जब नष्ट किया देवगण का अभिमान.

देवताओं और राक्षसों के बीच एक बार अत्यंत भीषण युद्ध हुआ। रक्त से सराबोर इस लड़ाई में अंततः देवगण विजयी हुए। जीत के मद में देव गण अभिमान और घमंड से भर गए। तथा स्वयं को सर्वोत्तम मानने लगे। देवताओं के इस मिथ्या अभिमान को नष्ट करने हेतु माँ दुर्गा नें तेजपुंज का रूप धारण किया और फिर देवताओं के समक्ष प्रकट हुईं। तेजपुंज विराट स्वरूप देख कर समस्त देवगण भयभीत हो उठे। और तब सभी देवताओं  के राजा इन्द्र नें वरुण देव को तेजपुंज का रहस्य जानने के लिए आगे भेजा।

तेजपुंज के सामने जा कर वरुण देव अपनी शक्तियों का बखान करने लगे। और तेजपुंज से उसका परिचय मांगने लगे। तब तेजपुंज नें वरुण देव के सामने एक अदना सा, छोटा सा तिनका रखा और उन्हे कहा की तुम वास्तव में इतने बलशाली हो जितना तुम खुद का बखान कर रहे हो तो इस तिनके को उड़ा कर दिखाओ।

वरुण देव नें एड़ी-चोटी का बल लगा दिया पर उनसे वह तिनका रत्ती भर भी हिल नहीं पाया और उनका घमंड चूर-चूर हो गया। अंत में वह वापस लौटे और उन्होने वह वास्तविकता इन्द्र देव से कही ।

इन्द्र देव नें फिर अग्नि देव को भेजा। तेजपुंज नें अग्नि देव से कहा की अपने बल और पराक्रम से इस तिनके को भस्म कर के बताइये।

अग्नि देव नें भी इस कार्य को पार लगाने में अपनी समस्त शक्ति झोंक दी। पर कुछ भी नहीं कर पाये। अंत में वह भी सिर झुकाये इन्द्र देव के पास लौट आए। इस तरह एक एक-कर के समस्त देवता तेजपुंज की चुनौती से परास्त हुए तब अंत में देव राज इन्द्र खुद मैदान में आए पर उन्हे भी सफलता प्राप्त ना हुई।

अंत में समस्त देव गण नें तेजपुंज से हार मान कर वहाँ उनकी आराधना करना शुरू कर दिया। तब तेजपुंज रूप में आई माँ दुर्गा में अपना वास्तविक रूप दिखाया और देवताओं को यह ज्ञान दिया की माँ शक्ति के आशीष से आप सब नें दानवों को परास्त किया है। तब देवताओं नें भी अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी और अपना मिथ्या अभिमान त्याग दिया।

Maa Durga Stories in Hindi

प्रेरक प्रसंग #3: माँ दुर्गा का वाहन शेर क्यों है.

एक धार्मिक (पौराणिक) कथा अनुसार माँ पार्वती नें भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों तक चली इस कठोर तपस्या के फल स्वरूप माँ पार्वती नें शिवजी को तो पा लिया पर तप के प्रभाव से वह खुद सांवली पड़ गयी।

विनोद में एक दिन शिवजी नें माँ पार्वती को काली कह दिया, यह बात माँ पार्वती को इतनी बुरी लग गयी की उन्होने कैलाश त्याग दिया और वन गमन किया। वन में जा कर उन्होने घोर तपस्या की। उनकी इस कठिन तपस्या के दौरान वहाँ एक भूखा शेर, उनका भक्षण करने के इरादे से आ चढ़ा। लेकिन तपस्या में लीं माँ पार्वती को देख कर वह शेर चमत्कारिक रूप से वहीं रुक गया और माँ पार्वती के सामने बैठ गया। और उन्हे निहारता रहा।

माँ पार्वती नें तो हठ ले ली थी की जब तक वह गौरी (रूपवान) नहीं हो जाएंगी तब तक तप करती ही रहेंगी। शेर भी भूखा प्यासा उनके सामने बरसों तक बैठा रहा। अंत में शिवजी प्रकट हुए और माँ पार्वती को गौरी होने का वरदान दे कर अंतरध्यान हो गए। इस प्रसंग के बाद पार्वती माँ गंगा स्नान करने गईं तब उनके अंदर से एक और देवी प्रकट हुई। और माँ पार्वती गौरी बन गईं। और उनका नाम इसीलिए गौरी पड़ा। और दूसरी देवी जिनका स्वरूप श्याम था उन्हे कौशकी नाम से जाना गया।

स्नान सम्पन्न करने के उपरांत जब माँ पार्वती (गौरी) वापस लौट रही थीं तब उन्होने देखा की वहाँ एक शेर बैठा है जो उनकी और बड़े ध्यान से देखे जा रहा है। शेर एक मांस-आहारी पशु होने के बावजूद, उसने माँ पर हमला नहीं किया था यह बात माँ पार्वती को आश्चर्यजनक लगी। फिर उन्हे अपनी दिव्य शक्ति से यह भास हुआ की वह शेर तो तपस्या के दौरान भी उनके साथ वहीं पर बैठा था। और तब माँ पार्वती नें उस शेर को आशीष दे कर अपना वाहन बना लिया।

प्रेरक प्रसंग #4: माँ दुर्गा नें किया प्रचंड पराक्रमी असुर महिषासुर का संहार ( Mahishasura Story in Hindi)

अत्याचारी असुरों का नाश करने हेतु माँ भगवती नें कई अवतार लिए हैं। असुर महिषासुर का वध करने के लिए शक्ति माँ नें दुर्गा का अवतार लिया था। एक धार्मिक कथा अनुसार महिषासुर नें अपने बल और पराक्रम से स्वर्ग लोक देवताओं से छीन लिया था। तब सारे देवता मिल कर विष्णु भगवान एवं शंकर भगवान से सहाय मांगने उनके समक्ष गए। पूरी बात जान कर भगवान विष्णु एवं शंकर भगवान क्रोधित हो उठे।

और तब उन सभी के मुख से दिव्य तेज प्रकट हुआ जिस तेज से एक नारी का सर्जन हुआ। जिन्हें “दुर्गा” कहा गया।

  • भगवान शिव के तेज से मुख बना।
  • यमराज के तेज से केश बने।
  • भगवान विष्णु के तेज से भुजाएँ बनी।
  • चंद्रमाँ के तेज से वक्ष स्थल की रचना हुई।
  • सूर्यदेव के तेज से पैरों की उँगलियों की रचना हुई।
  • कुबेरदेव के तेज से नाक की रचना हुई।
  • प्रजापतिदेव के तेज से दांत बने।
  • अग्निदेव के तेज से तीनों नेत्र की रचना हुई।
  • संध्या के तेज से भृकुटी बनी।
  • वायुदेव तेज से कानों की उत्पति हुई।

दुर्गा माँ के दिव्य रूप के सर्जन करने के बाद देव गण नें उन्हे इन शस्त्रों से शुशोभित किया।

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