माँ सरस्वती के चरणों में हम अपना शीष झुकाते हैं ,
सौगन्ध, शपथ लेकर हम सब अपना निश्चय दुहराते हैं ॥
शिक्षा मानव की पूँजी है, व्यक्तित्व इसी से बनता है ,
विद्या मन्दिर में आकर हम सब जीवन सफल बनाते हैं ॥
माँ-बाप, सखा परिवार सभी , संसार चक्र के पोषक हैं ,
हम बालक नत-मस्तक होकर उनका अहसान जताते हैं॥
माँ सरस्वती के चरणों में हम अपना शीष झुकाते हैं,
शिक्षक समाज का दर्पण है निर्माण राष्ट्र का करता है ॥
शत – शत प्रणाम, गुरु नमस्कार आशीष आपका पाते हैं ,
माँ सरस्वती के चरणों में हम अपना शीष झुकाते हैं ॥
क्या धर्म, जाति क्या वर्ण सभी ये तो समाज की रचना है ,
हम मानव है केवल मानव, बच्चे भगवान कहाते हैं ॥
माँ सरस्वती के चरणों में हम अपना शीष झुकाते हैं ,
भारत में हमने जन्म लिया, भारत ही धर्म हमारा है ॥
तन, मन, धन सब न्यौछावर कर हम ‘वन्देमातरम्’ गाते हैं ,
माँ सरस्वती के चरणों में हम अपना शीष झुकाते हैं ॥