एक बार की बार है, एक बुद्धिमान भिक्षु था। उसने अनेक भिक्षुओं ने शिक्षा ग्रहण की थी और वे भी उसके साथ ही रहते थे। उस भिक्षु के पास एक पालतू बिल्ली थी, जिसे वह बहुत प्रेम करता था। जब भी वह भिक्षु और उसके साथी ध्यान लगाने के लिए बैठते थे, तो वह बिल्ली को अपने पास बांध कर बिठा लिया करता था, ताकि वह आस पास दौड़कर किसी को परेशान न कर सके।
ऐसा 30 तक होता रहा और फिर उस भिक्षु की मृत्यु हो गई। उसके बाद एक वरिष्ठ भिक्षु को उनका स्थान दिया गया। एक दिन उन्हे बिल्ली कही दिखाई नही दी जिससे वो सब परेशान हो गए, क्योंकि बिल्ली के बिना वे ध्यान लगाने में असमर्थ थे। परिणाम यह हुआ को अब ध्यान लगाने से ज्यादा बिल्ली को तलाश करना जरूरी हो गया।
अब सारे भिक्षुओं को यकीन आया की वह बूढ़ा भिक्षु जब भी बिल्ली को अपने साथ बांधा करता था, तो इसके पीछे जरूर कोई कारण था, और वह उनके ध्यान लगाने का हिस्सा था। बिल्ली के न होने से ऐसा लग रहा था जैसे वहा के रीति रिवाज में कोई कमी आ गई हो।
उन्हे यह अपशकुन सा लग रहा था! बिल्ली के बिना उनके ध्यान लगाने की प्रक्रिया सफल नहीं हो पा रही थी। इस कहानी से निष्कर्ष यह निकलता है की एक व्यक्ति ने कोई काम अपनी सुविधा के लिए किया, जब की जब की दूसरो ने आंखे बंद करके ऐसा सोचा कि शायद इसके पीछे कोई कारण है।
दोस्तो इसी प्रकार के विचार मान्यताओं को जन्म देते हैं और जब आपके मन में कोई विचार आता है और आप सोचते हैं की आप बुद्धिमान व्यक्ति है और लोग आपके पास सलाह मांगने के लिए आते है और आपकी बुद्धिमता का तारीफ करते हैं।
तो समय बीतने के साथ आपके मन यह धारणा बन जाती है की आप वास्तव में बुद्धिमान है और ऐसा ही चलता रहता है। ऐसी बहुत तेजी से फैलती हैं और आपके समझने तक ये आपके मन में बैठ जाती है।
ऐसी मान्यताओं को 2 भागो में बाटा जा सकता है – पहली वह को हमे प्रेरणा देती हैं और दूसरी जो हमे नीचा दिखाती है। पहली प्रकार की मान्यताएं सशक्त या सकारात्मक मान्यताएं कहलाती है। और दूसरी बंधक और नकारात्मक मान्यताएं कहलाती है।
इसलिए लिए यही बेहतर है की हम सकारात्मक मान्यताओं का पालन करे। लेकिन यह भी आवश्यक है की हम नकारात्मक मान्यताओं को मिटाने का प्रयास करे।
एक डॉक्टर जल्दी जल्दी अस्पताल में एक आवश्यक ओपरेशन के लिए आता है. उसने अपने कपडे कपडे बदले और तुरंत ऑपरेशन ब्लॉक में चला गया.
उसने देखा की लडके के पिता हॉल में चक्कर लगा रहे है. डॉक्टर को देखते ही लड़के के पिता भडक हो उठे और डॉक्टर से बोले की आपको आने में इतनी देर क्यू लगी? क्या आप जानते नहीं हो की मेरे बेटे की जान खतरे में है?
आपको आप की जिमेदारी का एहसास है या नाही? डॉक्टर ने मुस्कुराया और बोला की माफ किजिएगा, मे अस्पातल में नहीं था, मे जल्दी हो सका आ गया. अब मे चाहूंगा की आप शांत हो जाइये. ताकि मे अपना काम शुरू कर सकू।
लडके के पिता कहते है की मी शांत हो जाउ? अगर ये तुम्हारा खुद का बेटा होता तो क्या तुम शांत हो जाते. अगर तुम्हारा बेटा अभी मर जाए तो क्या करोगे? लडके के पिता ने चिलाकर पुच्छा ।
डॉक्टर फिर मुस्कुराये और बोले की में वही करूंगा जो बायबल में लिखा हुआ है ‘हम मिट्टी से आते है और मिट्टी को लौट जाते है. आप जाइये और अपने बेटे के लिए प्रार्थना किजिए, भगवान की कृपा से हम अपनी तरफ से सबसे अच्छा करने की कोशिष करेंगे. उसके बाद लडके का पिता बडबडाया और बोले की बहुत आसान होता है सलाह देना जब खुद का कोई लेना देना नहीं होता है ।
कुछ घंटो के ऑपरेशन के बाद डॉक्टर खुश हुआ और ऑपरेशन थिएटर से बाहर निकला और बोले की शुक्र है आपका बेटा बचा गया! और बिना पिता के कुछ कहने का इंतजार किये डॉक्टर वहा से बाहर चले गए ।
अगर आपके कुछ सावल पूछने है तो नर्स से पूछ लिजिएगा, नर्स को वहा आते देख पिता ने नर्स से पुछा की, ये इतना घमंडी क्यू है? की ये कुछ देर के लिए रुक नहीं सक्ता था क्यूंकी मे इनसे अपने बेटे का हाल जान सकू ।
नर्स ने उनको बताया की कल इनके बेटे का एक रोड अपघात में निधन हो गया, और वो उसे दफनाने गए हुए थे जब हमने उन्हे आपके बेटे के ऑपरेशन के लिए उन्हें बुलाया भेजा. तब वो आपके बेटे का ओपरेशन करने के लिए वहा से निकल आये ।
दोस्तो इस कहानी से हमे यह सिखने को मिलता है की हर परिस्थीती में शांत रहे, ताकि आप अपने लिए बेहतर निर्णय ले सके, चाहे वो जिंदगी में हो या आप के व्यवसाय में हो….