मासूम बचपन
मेरी पोती अपने होने वाले भाई या बहन का बेसब्री से इंतजार कर रही थी, रोज़ मुझसे पूछती…. दादी, छोटू बेबी कब आएगा…. और मैं उससे कहती, जब हम हॉस्पिटल जाएंगे जब, तब वो पूछती…..”. क्या मिलेगा भैया या बहनियां.”….. तब मैं उससे कहती..” भगवान हॉस्पिटल में डॉक्टर आंटी को बेबी दे जाएंगे और वो हमें देंगी तब पता चलेगा क्या मिला “!! वो हमेशा बड़े गौर से मेरी बात सुनती ,और छोटू बेबी का इंतजार करती!!
जो भी आता उससे यही कहता….. भगवान जी से भैया मांगना जिससे उसे आप राखी बांध सको, वो बड़ी गंभीरता से स्वीकृति में सिर हिला देती!!
आखिर वो दिन आया, और भगवान जी ने उसे खूब प्यारा रुई के गोले जैसा नन्हा मुन्ना भाई दिया, उसकी तो खुशी देखते ही बनती थी, भाई के पास से हटती ही नहीं, न जाने कितने नाम भी रख दिए, पूरा दिन बस, छोटू भैया, छोटू भैया की रट लगाए रखी, अब रात आई… उसने देखा… मम्मी के पास तो भाई सो रहा है, मुझे पापा या दादी के साथ सोना पड़ेगा तब उसका मूड खराब हो गया, बिल्कुल चुप सी हो गई वो… बहुत पूछा, पर पूछने से कुछ बताए भी न!!
दूसरे दिन जो भी आता, छोटे बच्चे को ही देखता.. सभी का ध्यान नन्हें मुन्ने पर ही, अब तो सहनशक्ति खत्म हो गई उसकी, जैसे ही डॉक्टर राउंड पर आईं….. सामने खड़ी हो गई उनके और बोली……” डॉक्टर आंटी, आप भैया को ले लो हमें नहीं चाहिए”…… सब एकदम चौंक से गए.. ये क्या बोल रही है…. डॉक्टर ने मुस्कुराकर पूछा ” क्यों बेटा”….. वो बोली. ..”. हमको छोटू बेबी के मुंह का डिजाइन पसन्द नहीं, जब दूसरे डिजाइन का आएगा तब लेंगे ” मम्मी अब आप बेबी डॉक्टर आंटी को दे दो और घर चलो!!
हंसते हंसते सबकी हालत खराब हो गई, पर उसके मासूम मन की दुविधा को हमने समझा भी और उसे समझाया भी… फिर वो खुशी खुशी भाई को लेकर घर आ गई!!