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महाष्टमी

mahaashtamee
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( दुर्गोत्सवभक्तितरङ्गिणी, देवीपुराणादि ) –

आश्विनी शुक्ल अष्टमीको देवीकी उपासनाके अनेक अनुष्ठान होते हैं, इस कारण यह महाष्टमी मानी जाती है । इसमें सप्तमीका वेध वर्जित और नवमीका ग्राह्य होता है । इस दिन देवी शक्ति धारण करती हैं और नवमीको पूजा समाप्त होती है; अतएव सप्तमीवेधसंयुक्त महाष्टमीको पूजनादि करनेसे पुत्र, स्त्री और धनकी हानि होती है । यदि अष्टमी मूलयुक्त और नवमी पूर्वाषाढ़ायुक्त हो अथवा दोनोंसे युक्त हो तो वह महानवमी होती है । यदि सूर्योदयके समय अष्टमी और सूर्यास्तके समय नवमी हो और भौमवार हो तो यह योग अधिक श्रेष्ठ होता है । महाष्टमीके प्रातःकालमें पवित्र होकर भगवतीकी वस्त्र, शस्त्र, छत्र, चामर और राजचिह्नादिसहित पूजा करे । यदि उस समय भद्रा हो तो सायंकालके समय करे और अर्द्धरात्रिमें बलिप्रदान करे । कई स्थानोंमें इस दिन ‘ अखिलकारिणी ‘ ( खिलगानी ) देवीका पूजन किया जाता है । वह भद्रावर्जित सायंकाल या प्रातःकाल किसीमें भी किया जा सकता है । उसमें त्रिशूलमात्रकी पूजा होती है ।

चैत्र नवरात्र का आठवां दिन यानि महाष्टमी है. महाष्टमी के दिन महागौरी की पूजा का विशेष विधान है. देश भर में महाष्टमी की पूजा की छटा देखते ही बनती है. इस बार की महाष्टमी 11 अप्रैल 2011 यानि सोमवार को पड़ रही है जो खुद में भी एक विशेष योग है. मां गौरी को शिव की अर्धागनी और गणेश की माता के रुप में जाना जाता है. महागौरी की शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है. इनकी उपासना से भक्तों को सभी कल्मष धुल जाते हैं, पूर्वसंचित पाप भी विनष्ट हो जाते हैं.

भगवती महागौरी वृषभ के पीठ पर विराजमान हैं, जिनके मस्तक पर चन्द्र का मुकुट है. मणिकान्तिमणि के समान कान्ति वाली अपनी चार भुजाओं में शंख, चक्र, धनुष और बाण धारण किए हुए हैं, जिनके कानों में रत्नजडितकुण्डल झिलमिलाते हैं, ऐसी भगवती महागौरी हैं.

आज के दिन ही अन्नकूट पूजा यानी कन्या पूजन का भी विधान है। कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं लेकिन अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ रहता है. इस पूजन में 9 कन्याओं को भोजन कराया जाता है अगर 9 कन्याएं ना मिले तो दो से भी काम चल जाता है. भोजन कराने के बाद कन्याओं को दक्षिणा देनी चाहिए. इस प्रकार महामाया भगवती प्रसन्नता से हमारे मनोरथ पूर्ण करती हैं

मान्यता है कि अष्टमी और नवमी के बदलाव वाले समय में मां दुर्गा अपनी शक्तियों को प्रकट करती हैं। इसलिए इस दिन एक विशेष प्रकार की पूजा की जाती है जिसे चामुंडा की सांध्यपूजा के नाम से जाना जाता है।

महाष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद व्यक्ति को देवी भगवती की पूरे विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। माता की प्रतिमा अच्छे वस्त्रों से सुसज्जित रहनी चाहिए, प्रतिमा को सारे पारंपरिक हथियारों से लैस रहना चाहिए जैसे उनके सिर पर जो छत्र होता है उस पर एक चांदी या सोने की छतरी होनी चाहिए।

देवी वन्दना

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||

In English

(Durgotsvbktitrdagini, Devipuranadi) –

There are many rituals Deviki Upasnake Ashtmiko Asvini Shukla, therefore it is considered Mahashtami. It is acceptable Nvmika Sptmika perforation and barred. Nvmiko worship Goddess Shakti and assume the day ends; Therefore, by doing Sptmivedsnyukt Mahashtmiko Pugnadi son, wife and Dnki worse. The eighth and ninth Purwashadhayukt or both of Mulyukt Mahanavami it is containing. If Suryodayke time and eighth and ninth time Suryastke Bumwar then this sum is superior. Mahashtmike Pratakalmen Bgwatiki sacred and textiles, weapons, parasol, corymb and Rajcihnadishit worships. Bhadra Saynkalke time if that time and to Blipradan Arddharatrimen. Many places in this day Akilkarini (Kilgani) Devika is worshiped. He also can be Kisimen Bdrawarjit evening or morning. Trisulmatrki is worshiped therein.

That is the eighth day of Chaitra Navratri is Mahashtami. Mahagauri Mahashtami day of worship is special legislation. A panoramic view of worship throughout the country Mahashtami is made. On Monday, April 11, 2011, ie the time Mahashtami himself falling in a particular sum. Ardhagni mother Gauri Shiva and Ganesha is known as the mother. Mahagauri power is unfailing and Sdyः Fldayini. Devotees worship They are erased all Kalms, Purwsncit sins are destroyed.

Bhagwati mahagauri seated on the back of Taurus, whose head is a crown on the moon. The four sides of the same luster Mnikantimani shell, circle, holding bows and arrows, whose ears Ratnjditkundl flicker, such are mahagauri Bhagwati.

That same day the old worship of worship Annkut legislation. Some people today worship the ninth day of the eighth day of the week, but is best to worship. This worship is fed 9 girls 9 girls do not get if the two ever work. After feeding should give alms to girls. Goddess Mahamaya favor our desire that the full

Eighth and ninth in the time to recognize that the changes reveal his powers Durga. So this day is a special kind of worship, which is known to Sandhypuja of Chamunda.

Mahashtami morning after bathing rituals of the person should worship the goddess Bhagwati. Mother’s statue should be equipped with the best fabrics, such as the statue should be equipped with all the conventional weapons over their heads, which is the umbrella canopy on it should be a silver or gold.

Devi Vandana

Or Divine Srwbhuteshu Sktirupen Snsthita |
Namo damp Nmstsya Nmstsya Nmstsya: ||

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