यमुना तट मैं गई थी नहाने कान्हा बंसी के धुन क्यों बजाई दियो रे
मैं तो मतवारी हो गई श्याम हां मैं तो जोगनिया बनाई देयो रे…..
छोड़ के सखियों के टोले मैं दोडी दोडी आई,
कैसी जादूघरी कन्हिया मोह्पे आज चलाई
कान्हा मुझको दीवाना बनाये दियो रे
मैं तो मतवारी हो गई श्याम हां मैं तो जोगनिया बनाई देयो रे….
बरसाने में चर्चा सारे करे है बारी बारी,
राधा के संग रास रचाए है देखो वनवारी
कैसे मुश्किल में छलिया फसाई दियो रे
मैं तो मतवारी हो गई श्याम हां मैं तो जोगनिया बनाई देयो रे…..
तेरी बंसी की धुन सुन के होती होती दीवानी
तुझसे नैन मिले है जब से खुद से हो बेगानी
कान्हा मुझको दीवानी बनाई देयो रे
मैं तो मतवारी हो गई श्याम हां मैं तो जोगनिया बनाई देयो रे……….