नन्द लाला ने बरसाने में खेली ऐसी होली रे
मैं तो सांवरिया की हो ली रे……
तन मन चोला साडी चुनर भीग गई मेरी झोली रे
मैं तो सांवरिया की हो ली रे…..
गालन पे मेरे रंग लगाये के तिर्शे तिर्शे नैन चलाए के
केह गयो मीठी बोली रे
मैं तो सांवरिया की हो ली रे…..
जीवन के सब राज बदल गए सोते सोते भाग बदल गए
किस्मत मेरी खोली रे
मैं तो सांवरिया की हो ली रे……
बरसाने की नार नवेली क्या करती रेह गई अकेली
मोके संग सखा की टोली रे
मैं तो सांवरिया की हो ली रे….
दया नन्द मेरे मन बसिया ने
होली के या रंग रसिया ने मेरे दी की कुण्डी खोली रे
मैं तो सांवरिया की हो ली रे…………….