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मनमोहनी है छवि ये तुम्हारी

मनमोहनी है छवि ये तुम्हारी,
हटती नहीं है बाबा नजरें हमारी,

सर पे मुकुट और कानों में कुंडल,
माथे पे हीरा आंखें ये चंचल,
अधरों पे लगती मुरली है प्यारी।

पुष्पों की माला से बागा सजा है,
उस पे सुगंधित इत्र लगा है,
महक रहे हो श्याम बिहारी।

दरबार तेरे जो दर्शन को आए,
भक्त जो देखे तुझे देखता ही जाए,
‘आकाश’ गूंजे जय कार थारी


मेरे सांवरिया मेरे सांवरिया
तू ही जीने का सहारा है,
तू मेरा पालनहारा है,
मेरे सांवरिया मेरे सांवरिया

दरबार में तेरे आया हु हार के शरण में लेलो मुझे
हारे का साथी है ये जानता हु मैं जीता दो अब तुम मुझे,
हारन वाले से तूने रिश्ता निभाया है श्याम तेरा ही तो साया है,
मेरे सांवरिया मेरे सांवरिया

मजधार में नैया बन के तू खिवाईया लगाना पार मुझे
इस जग की राहो में अगर कोई भी भटके गले से लगाना उसे,
वो नही डूबे जिसको तुमने अपनाया है सीने से लगाया है
मेरे सांवरिया मेरे सांवरिया

अरदास लेकर शोबित आया है अपना लो श्याम धनी
जागु गाऊ भर भर चरणों में तेरे लगन अब तुम से लगी
नीले पे सवार संवारा संकट हरने आया है सब तुम से ही तो पाया है
मेरे सांवरिया मेरे सांवरिया…….

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