विवाह के दो वर्ष हुए थे जब सुहानी गर्भवती होने पर अपने घर पंजाब जा रही थी …पति शहर से बाहर थे …
जिस रिश्ते के भाई को स्टेशन से ट्रेन मे बिठाने को कहा था वो लेट होती ट्रेन की वजह से रुकने में मूड में नहीं था इसीलिए समान सहित प्लेटफॉर्म पर बनी बेंच पर बिठा कर चला गया ….
गाड़ी को पांचवे प्लेटफार्म पर आना था …
गर्भवती सुहानी को सातवाँ माह चल रहा था. सामान अधिक होने से एक कुली से बात कर ली….
बेहद दुबला पतला बुजुर्ग…पेट पालने की विवशता उसकी आँखों में थी …एक याचना के साथ सामान उठाने को आतुर ….
सुहानी ने उसे पंद्रह रुपये में तय कर लिया और टेक लगा कर बैठ गई…. तकरीबन डेढ़ घंटे बाद गाडी आने की घोषणा हुई …लेकिन वो बुजुर्ग कुली कहीं नहीं दिखा …
कोई दूसरा कुली भी खाली नज़र नही आ रहा था…..ट्रेन छूटने पर वापस घर जाना भी संभव नही था …
रात के साढ़े बारह बज चुके थे ..सुहानी का मन घबराने लगा …
तभी वो बुजुर्ग दूर से भाग कर आता हुआ दिखाई दिया …. बोला चिंता न करो बिटिया हम चढ़ा देंगे गाडी में …भागने से उसकी साँस फूल रही थी ..उसने लपक कर सामान उठाया …और आने का इशारा किया
सीढ़ी चढ़ कर पुल से पार जाना था कयोकि अचानक ट्रेन ने प्लेटफार्म चेंज करा था जो अब नौ नम्बर पर आ रही थी
वो साँस फूलने से धीरे धीरे चल रहा था और सुहानी भी तेज चलने हालत में न थी
गाडी ने सीटी दे दी
भाग कर अपना स्लीपर कोच का डब्बा ढूंढा ….
डिब्बा प्लेटफार्म खत्म होने के बाद इंजिन के पास था। वहां प्लेटफार्म की लाईट भी नहीं थी और वहां से चढ़ना भी बहुत मुश्किल था ….
सुहानी पलटकर उसे आते हुए देख ट्रेन मे चढ़ गई…तुरंत ट्रेन रेंगने लगी …कुली अभी दौड़ ही रहा था …
हिम्मत करके उसने एक एक सामान रेलगाड़ी के पायदान के पास रख दिया ।
अब आगे बिलकुल अन्धेरा था ..
जब तक सुहानी ने हडबडाये कांपते हाथों से दस का और पांच का का नोट निकाला …
तब तक कुली की हथेली दूर हो चुकी थी…
उसकी दौड़ने की रफ़्तार तेज हुई ..
मगर साथ ही ट्रेन की रफ़्तार भी ….
वो बेबसी से उसकी दूर होती खाली हथेली देखती रही …
और फिर उसका हाथ जोड़ना नमस्ते
और आशीर्वाद की मुद्रा में ….
उसकी गरीबी …
उसका पेट ….
उसकी मेहनत …
उसका सहयोग …
सब एक साथ सुहानी की आँखों में कौंध गए ..
उस घटना के बाद सुहानी डिलीवरी के बाद दुबारा स्टेशन पर उस बुजुर्ग कुली को खोजती रही मगर वो कभी दुबारा नही मिला …
आज वो जगह जगह दान आदि करती है मगर आज तक कोई भी दान वो कर्जा नहीं उतार पाया उस रात उस बुजुर्ग की कर्मठ हथेली ने किया था …
सच है कुछ कर्ज कभी नही उतारे जा सकते……!
दो मिनट का समय निकालकर
यह आर्टिकल जरूर पढे🙏🙏
चौबे जी का लड़का है अशोक, एमएससी पास।
नौकरी के लिए चौबे जी निश्चिन्त थे, कहीं न कहीं तो जुगाड़ लग ही जायेगी।
ब्याह कर देना चाहिए।
मिश्रा जी की लड़की है ममता, वह भी एमए पहले दर्जे में पास है, मिश्रा जी भी उसकी शादी जल्दी कर देना चाहते हैं।
सयानों से पोस्ट ग्रेजुएट लड़के का भाव पता किया गया।
पता चला वैसे तो रेट पांच से छः लाख का चल रहा है, पर बेकार बैठे पोस्ट ग्रेजुएटों का रेट तीन से चार लाख का है।
सयानों ने सौदा साढ़े तीन में तय करा दिया।
बात तय हुए अभी एक माह भी नही हुआ था, कि पब्लिक सर्विस कमीशन से पत्र आया कि अशोक का डिप्टी कलक्टर के पद पर चयन हो गया है।
चौबे- साले, नीच, कमीने… हरामजादे हैं कमीशन वाले…!
पत्नि- लड़के की इतनी अच्छी नौकरी लगी है नाराज क्यों होते हैं?
चौबे- अरे सरकार निकम्मी है, मैं तो कहता हूँ इस देश में क्रांति होकर रहेगी… यही पत्र कुछ दिन पहले नहीं भेज सकते थे, डिप्टी कलेक्टर का 40-50 लाख यूँ ही मिल जाता।
पत्नि- तुम्हारी भी अक्ल मारी गई थी, मैं न कहती थी महीने भर रुक जाओ, लेकिन तुम न माने… हुल-हुला कर सम्बन्ध तय कर दिया… मैं तो कहती हूँ मिश्रा जी को पत्र लिखिये वो समझदार आदमी हैं।
प्रिय मिश्रा जी,
अत्रं कुशलं तत्रास्तु !
आपको प्रसन्नता होगी कि अशोक का चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हो गया है। विवाह के मंगल अवसर पर यह मंगल हुआ। इसमें आपकी सुयोग्य पुत्री के भाग्य का भी योगदान है।
आप स्वयं समझदार हैं, नीति व मर्यादा जानते हैं। धर्म पर ही यह पृथ्वी टिकी हुई है। मनुष्य का क्या है, जीता मरता रहता है। पैसा हाथ का मैल है, मनुष्य की प्रतिष्ठा बड़ी चीज है। मनुष्य को कर्तव्य निभाना चाहिए, धर्म नहीं छोड़ना चाहिए। और फिर हमें तो कुछ चाहिए नहीं, आप जितना भी देंगे अपनी लड़की को ही देंगे।वर्तमान ओहदे के हिसाब से देख लीजियेगा फिर वरना हमें कोई मैचिंग रिश्ता देखना होगा।
मिश्रा परिवार ने पत्र पढ़ा, विचार किया और फिर लिखा-
प्रिय चौबे जी,
आपका पत्र मिला, मैं स्वयं आपको लिखने वाला था। अशोक की सफलता पर हम सब बेहद खुश हैं। आयुष्मान अब डिप्टी कलेक्टर हो गया हैं। अशोक चरित्रवान, मेहनती और सुयोग्य लड़का है। वह अवश्य तरक्की करेगा।
आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि ममता का चयन आईएएस के लिए हो गया है। कलेक्टर बन कर आयुष्मति की यह इच्छा है कि अपने अधीनस्थ कर्मचारी से वह विवाह नहीं करेगी।
मुझे यह सम्बन्ध तोड़कर अपार हर्ष हो रहा है।
बेटी पढाओ, दहेज मिटाओ
एक रोटी कम खाओ,
पर, बेटी जरूर पढ़ाओ🙏🙏🙏
English Translation
It was two years of marriage when Suhani was going to her home in Punjab when she was pregnant… husband was out of town…
The relation whose brother was asked to sit in the train from the station, he was not in a mood to stop because of the late train, so he went to sit on the bench made on the platform with the same….
The car was supposed to come on the fifth platform …
Pregnant Suhani was going on for the seventh month. Talked to a porter over stuff….
Extremely thin old man … the helplessness of his stomach was in his eyes … eager to lift things with a petition …
Suhani fixed her for fifteen rupees and sat down with a peck …. After about an hour and a half, the carriage was announced … But that elderly porter did not show anywhere …
No other porter could even look empty… It was not possible to go back home after missing the train…
It was past twelve and a half in the night .. Suhani’s mind started to panic …
Then that elderly man came running from far away …. He said don’t worry, we will climb into the car … He was breathless from running away .. He grabbed the stuff and pointed out to come.
Climbing the ladder had to cross the bridge because suddenly the train had changed the platform which was now coming at number nine.
He was walking slowly due to breathlessness and Suhani was not even in a fast walking condition.
The car gave the whistle
Run away and find your sleeper coach box.
The engine was near the end of the beater platform. There was not even the light of the platform and it was very difficult to climb from there….
Suhani turned around and saw her coming and boarded the train… immediately the train started crawling… The coolie was still running…
Daring him, he kept every luggage near the foot of the train.
Now it was completely dark ..
Till the time Suhani took out the ten and five notes from the shaking hands …
By then, the porter’s palm was gone …
His speed of running accelerated ..
But as well as the speed of the train …
She kept staring blankly away from her helplessness …
And then join his hand hello
And in the posture of blessings….
His poverty …
His stomach….
His hard work …
His cooperation …
Everyone blinked together in Suhani’s eyes ..
After that incident, Suhani kept searching for that elderly porter at the station again after delivery but he never found again.
Today, he donates place to place, but till date no donation has been able to repay that debt, that night the hard-working palm of that elderly man did…
True, some debts can never be removed ……!
Taking two minutes off
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Choubey’s son is Ashok, MSc pass.
Chaubey Ji was determined to get a job, somewhere or the other, he would get engaged.
Should get married
Mishra ji’s girl is Mamta, she is also MA in first grade, Mishra ji also wants to get her married soon.
The post graduate boy sentiment was ascertained from Sayan.
It was found out that the rate is going on from five to six lakhs, but the post graduates of idle post graduates are in the range of three to four lakhs.
Sayans settled the deal at three-and-a-half.
It was not even a month fixed, that a letter came from the Public Service Commission that Ashok had been selected to the post of Deputy Collector.
Choubey, brother-in-law, bastard … haramzade are commissioned people …!
Wife – Why is the boy getting such a good job?
Choubey – Hey, the government is unfortunate, I say that there will be revolution in this country… You could not have sent the same letter a few days ago, you would have got 40-50 lakhs of deputy collector.
Wife- You too were made sense, I did not say stop for a month, but you do not agree … I have decided the relationship … I say, write a letter to Mishra ji, he is a wise man.
Dear Mishra,
Atran Kushal Yantra
You will be happy that Ashok has been selected for the Deputy Collector. It was auspicious on the occasion of marriage. It also contributes to the fate of your well-deserved daughter.
You yourself are sensible, know policy and decorum. This earth rests on religion. What is a human being, the person keeps dying. Money is the dirt of hands, the prestige of man is a big thing. Man should do duty, not give up religion. And then we don’t need anything, whatever you give will be given to your girl. See it according to the current position, otherwise we will have to see a matching relationship.
The Mishra family read the letter, pondered and then wrote-
Dear Choubey,
I got your letter, I was going to write it myself. We are all very happy about Ashok’s success. Ayushman has now become deputy collector. Ashok is a character, hardworking and capable boy. He will surely progress.
You will be happy to know that Mamta has been selected for IAS. By becoming a collector, Ayushmati wishes that she will not marry her subordinate employee.
I am very happy to break this connection.
Teach daughter, erase dowry
Eat a loaf less,
But, the daughter must teach