मत बांधो रे गठरिया अपजस की,
अपजस की रे भाई अपजस की
मत बांधो रे गठरिया अपजस की
ये संसार बादल की छाया,
करो रे कमाई भाई हरी रस की
मत बांधो रे गठरिया अपजस की
जोर जवानी ढलक जायेगी ,
बाल अवस्था तेरी दिल दसकी
मत बांधो रे गठरिया अपजस की
धर्म दूत जब फांसी डारे,
खबर लेवे रे थारी नस नस की
मत बांधो रे गठरिया अपजस की
केहत कबीर सुनो रे साधो,
बात नही तेरे कोई बस की
मत बांधो रे गठरिया अपजस की……