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मेरी बेहना केसों पे कलमलहारी

मेरी बेहना केसों पे कलमलहारी,
मस्तक पे मदन मुरारी,
लिख दे लिखाऊँ  जो बात में
तन पे नाम लिखो चित लाके, अपने तू अति हर्षाके,
लिखदे लिखाऊं  जो जो बात में

भृकटी पे भयनासक लिखदे भक्तन के रखवारे ,
पलकों पे पीताम्बरधारी जग के पालनहारे,
नैनों पे लिख्न नटवर नंदन है नैनों के तारे,
बहना कोरन पे कृष्ण मुरारी गलों पे गिरवरधारी,

निर्विकार नासिका पे लिखदे नटवर नन्द दुलारे,
अधरों पे लिख एक अगोचर मोहन बंसी वारे ,
चतुर्भुजी लिख चिवक में मेरे चमके चंदा तारे,
बहना कानों पे करुणा धारे ग्रीवा पे गौ रखवारे,

भुजन पे भूधर भूर भूर लिख बहियन पे बनवारी,
प्रीतम प्यारा लिख पहुँची पे पुलकित हो मन भारी,
नन्द नंदन लिख नखों पे मेरे छाती पे छलियारी,
बहना नाभी पे लिख नटनागर कटि पे लिख करुणा सागर,

जाघों पे लिख जीवनदाता पार लगावे नैया
घुटुवन पे घनश्याम घनेरे गोपी रास रचैया,
प्रेम पुजारी लिख पिड्रीन पे बलदाऊ को भैया,
बहना पंजे पे लिखदे दायरी मोहन की राधा प्यारी,,,,,,,

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