Breaking News

आदमी मुसाफिर है आता है जाता है

आते-जाते रस्ते में यादें छोड़ जाता है.

मोहम्मद रफ़ी साहब, मन्ना दा, मुकेश जी और किशोर दा प्लेबैक सिंगिंग में एक दूसरे के प्रतिस्पर्धी होने के बावजूद आपस में न केवल बहुत अच्छे दोस्त थे वरन् दुख-सुख में भी हमेशा साथ होते थे।

ये 27 अगस्त 1976 की बात है, मुकेश जी का अमेरिका (डेट्रायट, मिशिगन) में एक म्यूजिकल प्रोग्राम होना था। इस वजह से उस दिन वे सुबह जल्दी उठ गए थे। नहाते वक्त अचानक उन्हें सीने में दर्द महसूस हुआ। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन अफसोस, तब तक मौत उन्हें अपने आगोश में ले चुकी थी।

रफ़ी साहब को जब अपने जिगरी दोस्त की अचानक मौत की खबर हुई तो उन्हें बड़ा गहरा सदमा लगा, वे बिल्कुल गुम-सुम से हो बैठे। अंतिम संस्कार के लिऐ उनके शव को अमेरिका से भारत लाया गया। मुकेश जी के अंतिम संस्कार के एक दिन पहले अचानक रफ़ी साहब की भी तबीयत बिगड़ गई। उनकी गर्दन में नस के ऊपर एक फोड़ा हो गया था। संक्रमण की वजह से उन्हें बुखार भी आ गया था। इस वजह से उन्हें बांद्रा के नर्सिंग होम में दाखिल होना पड़ा।

अगले दिन सुबह उनको तेज दर्द के साथ शदीद बुखार भी था, इसके बावजूद उन्होंने डॉक्टर से गुजारिश की कि हर हाल में मुझे कुछ देर के लिए वहां जाना है। डॉक्टर ने बहुत समझाया कि फिलहाल आप कहीं नहीं जा सकते हैं, क्योंकि आपको अभी आराम की सख्त जरूरत है, लेकिन वे बेचैन बने रहे।

बक़ौल यास्मीन रफ़ी, मैं जब अब्बा के लिए सूप लेकर नर्सिंग होम पहुंची तो वे पलंग पर खामोशी के साथ लेटे हुए थे। उनकी आंखें बता रही थी कि वे रोए भी हैं। उन्हें सूप देते हुऐ कहा ‘आप गर्मा-गर्म सूप पी लीजिए, इससे आपको आराम मिलेगा।’

सूप पीते-पीते उन्होंने अचानक छोड़ दिया और फौरन पलंग से उतर कर कहने लगे, “अपना यार चला गया और ये लोग कहते हैं मत जाओ, मैं यहां पर क्या कर रहा हूं ? मुझे अभी जाना है !” तुरंत उन्होंने जहीर भाई से गाड़ी मंगवाई।

सभी मना करते रह गए पर रफ़ी साहब नहीं माने और अपने दोस्त को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कहने नर्सिंग होम के पिछले दरवाजे से रवाना हो गए।

यास्मीन जी बतातीं हैं कि जब वे वहां से लौटे तो बहुत थक चुके थे, लेकिन उनके चेहरे पर सुकून नजर आ रहा था। मानो, अपने यार को नजदीक जाकर अलविदा कहने से उनके दिल को थोड़ा सुकून मिल गया हो।

Check Also

babu-kunwar-singh

बाबू वीर कुंवर सिंह

यदि हमें पिछले 200-250 वर्षों में हुए विश्व के 10 सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं की सूची बनाने को कहा जाए तो हम अपनी सूची में पहला नाम बाबू वीर कुंवर..