मोरे श्याम तुम बिन लागे न जिया लागे न
तेरी प्रीत में मेरी जीत रे मोरे श्याम रे
अखियो की प्यास बुजा दियो थाम लो विराजियो
मोरे दिल में अब तो विराजियो
ब्रिज के दुलारे श्याम रे कन्हिया लाल रे,
जल भी न भाये बिन तेरे नींदिया न आये बिन तेरे,
मोहे दर्श दो विराजियो दिल में विराजियो
अखियो में तू सपनो में तू
मेरे जिस्म में मेरी रूह में मोरे श्याम तुम बिन लागे न जिया लागे न
तेरी प्रीत में मेरी जीत रे मोरे श्याम रे,,,,,,,,,,
ओ नंद दुलारे आजा, तुम्हे भक्त पुकारे आजा
तुम हो भक्तो के सखा, ज्ञान गीता का सुना
ओ कुंज बिहारी आजा……….
ओ नंद दुलारे आजा……………
तेरे दर्श बिना हम दुखी हो रहे, हो रहे
झूठ, पाप में हम लीन हो रहे, हो रहे
ऎसी भक्तों की पुकार सुननी होगी बार-बार
ओ श्यामा तू दर्श दिखा जा
ओ नंद दुलारे आजा……
गउओ की बुरी दशा हो रही, हो रही
तेरी याद में श्यामा रो रही, रो रही
ऎसी बंसी तु बजा, इन्हें दुष्टो से बचा
इनका तु कष्ट मिटा जा
ओ नंद दुलारे आजा………
द्रुपद सुता की लाज बचा, लाज बचा
जो थी सभा में आन गिराई, आन गिराई
उसका चीर बढ़ा, उसकी लाज बचा
ओ नंद दुलारे आजा……