एक घास के तिनके का भी रहस्य है, जो हर किसी को नहीं मालूम क्योंकि आज तक हमने हमारे ग्रंथो को
सिर्फ पढ़ा, समझने की कोशिश नहीं की।
रावण ने जब माँ सीता जी का हरण करके लंका ले गया तब लंका मे सीता जी वट वृक्ष के नीचे बैठ कर चिंतन करने लगी। रावण बार बार आकर माँ सीता जी को धमकाता था, लेकिन माँ सीता जी कुछ नहीं बोलती थी। यहाँ तक की रावण ने श्री राम जी के वेश भूषा मे आकर माँ सीता जी को
भ्रमित करने की भी कोशिश की लेकिन फिर भी सफल नहीं हुआ,
रावण थक हार कर जब अपने शयन कक्ष मे गया तो मंदोदरी ने उससे कहा आप तो राम का वेश धर कर गये थे, फिर क्या हुआ?
रावण बोला- जब मैं राम का रूप लेकर सीता के समक्ष गया तो सीता मुझे नजर ही नहीं आ रही थी ।
रावण अपनी समस्त ताकत लगा चुका था लेकिन जिस जगत जननी माँ को आज तक कोई नहीं समझ सका, उन्हें रावण भी कैसे समझ पाता !
रावण एक बार फिर आया और बोला मैं तुमसे सीधे सीधे संवाद करता हूँ लेकिन तुम कैसी नारी हो कि मेरे आते ही घास का तिनका उठाकर उसे ही घूर-घूर कर देखने लगती हो,
क्या घास का तिनका तुम्हें राम से भी ज्यादा प्यारा है?
रावण के इस प्रश्न को सुनकर माँ सीता जी बिलकुल चुप हो गयी और उनकी आँखों से आसुओं की धार बह पड़ी।
इसकी सबसे बड़ी वजह थी कि
जब श्री राम जी का विवाह माँ सीता जी के साथ हुआ,तब सीता जी का बड़े आदर सत्कार के साथ गृह प्रवेश भी हुआ। बहुत उत्सव मनाया गया। *प्रथानुसार नव वधू विवाह पश्चात जब ससुराल आती है तो उसके हाथ से कुछ मीठा पकवान बनवाया जाता है, ताकि जीवन भर घर में मिठास बनी रहे।*
इसलिए माँ सीता जी ने उस दिन अपने हाथों से घर पर खीर बनाई और समस्त परिवार, राजा दशरथ एवं तीनों रानियों सहित चारों भाईयों और ऋषि संत भी भोजन पर आमंत्रित थे।
माँ सीता ने सभी को खीर परोसना शुरू किया, और भोजन शुरू होने ही वाला था की ज़ोर से एक हवा का झोका आया। सभी ने अपनी अपनी पत्तलें सम्भाली,सीता जी बड़े गौर से सब देख रही थी।
ठीक उसी समय राजा दशरथ जी की खीर पर एक छोटा सा घास का तिनका गिर गया, जिसे माँ सीता जी ने देख लिया। लेकिन अब खीर मे हाथ कैसे डालें? ये प्रश्न आ गया। माँ सीता जी ने दूर से ही उस तिनके को घूर कर देखा वो जल कर राख की एक छोटी सी बिंदु बनकर रह गया। सीता जी ने सोचा ‘अच्छा हुआ किसी ने नहीं देखा’।
लेकिन राजा दशरथ माँ सीता जी
के इस चमत्कार को देख रहे थे। फिर भी दशरथ जी चुप रहे और अपने कक्ष पहुचकर माँ सीता जी को बुलवाया ।
फिर उन्होंने सीताजी से कहा कि मैंने आज भोजन के समय आप के चमत्कार को देख लिया था ।
आप साक्षात जगत जननी स्वरूपा हैं, लेकिन एक बात आप मेरी जरूर याद रखना।
आपने जिस नजर से आज उस तिनके को देखा था उस नजर से आप अपने शत्रु को भी कभी मत देखना।
इसीलिए माँ सीता जी के सामने जब भी रावण आता था तो वो उस घास के तिनके को उठाकर राजा दशरथ जी की बात याद कर लेती थी।
*तृण धर ओट कहत वैदेही*
*सुमिरि अवधपति परम् सनेही*
*यही है उस तिनके का रहस्य* !
इसलिये माता सीता जी चाहती तो रावण को उस जगह पर ही राख़ कर
सकती थी, लेकिन राजा दशरथ जी को दिये वचन एवं भगवान श्रीराम को रावण-वध का श्रेय दिलाने हेतु वो शांत रही !
ऐसी विशालहृदया थीं हमारी जानकी माता !
जय हो प्रभु श्री राम जी की
English Translation
There is also the secret of a clump of grass, which is not known to everyone because till date we have given our texts
Just read, not try to understand.
When Ravana took away Mother Sita ji to Lanka, Sita ji started sitting under the tree and contemplating in Lanka. Ravana used to repeatedly threaten Mother Sita ji, but mother Sita ji did not say anything. Even Ravana came in disguise of Shri Ram ji to Mother Sita
Also tried to confuse but still did not succeed,
When Ravana was exhausted and went to his bedroom, Mandodari said to him that you had disguised Rama, then what happened?
Ravana said- When I went in front of Sita with the form of Rama, Sita could not see me.
Ravana had put all his strength, but the world mother who no one could understand till date, how could he even understand Ravana!
Ravana once again came and said, I communicate directly with you, but how are you a woman, that as soon as I come, pick up the grass and start staring at it,
Is the straw of the grass more dear to you than Rama?
On hearing this question of Ravana, Mother Sita became completely silent and tears of tears flowed from her eyes.
The biggest reason for this was that
When Shri Ram ji was married to Mother Sita, then Sita ji also entered home with great respect. There was a lot of celebration. * According to custom, when the new bride-in-law arrives after her marriage, some sweet dish is made by her hand, so that sweetness remains in the house throughout her life. *
So Mother Sita made Kheer at home with her own hands that day and all the family, including King Dasaratha and the three queens, four brothers and sage saints were also invited for the meal.
Mother Sita started serving kheer to everyone, and the meal was about to start when a loud breeze came. Everyone handled their own plates, Sita ji was watching all with great attention.
At the same time, a small grass speck fell on King Dasaratha’s pudding, which was observed by Maa Sita ji. But now how to put hand in kheer? This question has come. Mother Sita stared at the speck from afar and saw it burning and became a small point of ashes. Sita ji thought ‘no one saw what happened’.
But King Dasharatha mother Sita ji
Was watching this miracle. Nevertheless, Dashrath ji remained silent and reached his room and called Mother Sita ji.
Then he told Sitaji that I had seen your miracle at meal time today.
You are the true world mother, but one thing you must remember.
Do not ever see your enemy even with the sight with which you saw that speck today.
That is why whenever Ravana used to come in front of Mother Sita ji, she would pick up the grass straw and remember the talk of King Dasharatha ji.
* Trin Dhar Oat Kahat Vaidehi *
* Sumiri Awadhpati Paramnehi *
* This is the secret of that straw *!
That is why Mother Sita wanted to place Ravana at that place only.
She could have, but she kept calm to give the promise given to King Dasaratha and the credit of Ravana-slaughter to Lord Shri Ram!
Our great mother was such a great heart!
Jai Ho Prabhu Shri Ram Ji