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नजर कदे न लागे


नजर कदे न लागे तेरे नजर कदे न लागे
लै बनया दूज का चाँद बाबा नजर कदे न लागे
नजर कदे न लागे तेरे नजर कदे न लागे
तने खड़ा निहारे जाट बाबा नजर कदे न लागे……

मैं हरयाने से आया तेरा रूप देख के टकराया
तेरी बांकी टेढ़ी चितवन मेरा हिवड़ा बहुत लुभाया
तेरे घने निराले ठाठ  बाबा नजर कदे न लागे…..

या मकराने की कोठी तेरी आख्या मोटी मोटी,
हूँ कैसे होले होले भगता पर फेंके गोटी,
सोहे मोरछडी तेरे हाथ  बाबा नजर कदे न लागे……

तने देख सलोना मेरी हिल गई रे पोरी पोरी,
इब जन्म जन्म की बाबा तेरे से बंध गई गोरी
ते बहुत घना फुरांत बाबा नजर कदे न लागे…..

काला टिका लग वा ले निम्भु मिर्ची बंधवा ले
एह हर्ष संवारा खुद ने नजरा से आज बचा ले
तेरे रुतबे की क्या बात  बाबा नजर कदे न लागे…….

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