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नर देहि पायी चित्त चरण कमल दीजै


नर देहि पायी चित्त चरण कमल दीजै,
दीन बचन संतन संग दरस परस कीजै|

लीला गुण अमृत रस श्रवणन पुट पीजै,
सुन्दर सुख निरख ध्यान नैन माहि लीजै|

गदगद सुर पुलक रोम अंग प्रेम भीजै,
सूरदास गिरिधर जस गाये गाये जीजै|

नर देहि पायी चित्त चरण कमल दीजै,
दीन बचन संतन संग दरस परस कीजै|

लीला गुण अमृत रस श्रवणन पुट पीजै,
सुन्दर सुख निरख ध्यान नैन माहि लीजै|

गदगद सुर पुलक रोम अंग प्रेम भीजै,
सूरदास गिरिधर जस गाये गाये जीजै|

नर देहि पायी चित्त चरण कमल दीजै,
दीन बचन संतन संग दरस परस कीजै|

लीला गुण अमृत रस श्रवणन पुट पीजै,
सुन्दर सुख निरख ध्यान नैन माहि लीजै|

गदगद सुर पुलक रोम अंग प्रेम भीजै,
सूरदास गिरिधर जस गाये गाये जीजै||

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