ओ कान्हा रे कहा जाके छुपा रे,
तेरे बिना ओ कान्हा मन मेरा लागे न
तू नही तो कुछ भी नही रे
ओ कान्हा रे कहा जाके छुपा रे,
तेरी राहो में पलके बिछाए,
तेरी मूरत को मन में वसाए
रस्ता तेरा देखे हम तेरे बिना रोये मन
अब तो आके दर्शन दे,
तेरी बंसी से मन मेरा डोले
रेह रेह कर ये दिल मुझसे बोले
मेर कान्हा आएगा मुझसे प्रीत लगाये गा
तू न माने बात मेरी रे
ओ कान्हा रे कहा जाके छुपा रे,
काहे हम को नजर तू न आये
काहे नैनो को इतना तरसाए
भगतो के तू मन की सुन हम को लागे तेरी धुन
अब तो मेरा धीर छुटे रे
ओ कान्हा रे कहा जाके छुपा रे,,,,,,,