ॐ नमः शिवाय शिव वाणी-210
चौरासी लाख योनियों में एक योनि मानव की है। मानव योनि में जन्म देने के लिए प्रभु परमात्मा को लाखों बार हाथ जोड़कर नमन किया जाए तो भी कम है। क्योंकि यही वह योनि है जिस योनि में मानव अपना उद्धार प्रभु चरण में पहुंचकर कर सकता है और किसी योनि में नहीं ।
बाकी सभी योनि भोगने के लिए है जिसमें अथाह कष्ट है। मानव जीवन भी अपने द्वारा किए गए कर्मों को भोगने का ही माध्यम है लेकिन यही वह योनि है। जिसमें मनुष्य मोक्ष और मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
इसलिए जीवन कितना भी दुखों से भरा हुआ क्यों ना हो ? क्योंकि ये दुख हमारे ही कर्मों की देन है और इन्हें प्रारब्ध समझ खुशी-खुशी काटे और ईश्वर की शरण में पहुंच अपना उद्धार करें।
मोक्ष और मुक्ति का रास्ता परमात्मा के चरणों से होकर गुजरता है अन्यथा चौरासी तो तैयार ही है उसमें गिरने के लिए कुछ भी करने की जरूरत नहीं । लेकिन इससे बचने का उपाय अवश्य है ।
परमात्मा के चरण, वही मोक्ष और मुक्ति का धाम है।
ॐ नमः शिवाय
परमात्मा के पंख
English Translation
Om Namah Shivay Shiv Vani-210
One of the eighty-four lakh yonis is that of a human. For giving birth in a human vagina, the Lord God is worshiped with folded hands millions of times, even less. Because this is the vagina in which a person can save himself by reaching GOD’s feet and not in any other vagina.
Everything else is for the enjoyment of the vagina, in which there is immense suffering. Human life is also a medium to enjoy the deeds done by oneself, but this is the vagina. In which man can attain salvation and liberation.
So why should life be full of sorrows? Because this misery is the result of our own actions and considering them as destiny, cut them happily and reach the shelter of God and save yourself.
The path of salvation and liberation passes through the feet of the Supreme Soul, otherwise eighty-four is ready and nothing needs to be done to fall into it. But there is a way to avoid it.
The feet of the Supreme Soul, that is the abode of salvation and liberation.
Om Namah Shivaya
wings of god