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परमहंस ने बताया सांसारिक बंधनों से ऐसे पाएं छुटकारा

परमहंस ने बताया सांसारिक बंधनों से ऐसे पाएं छुटकारा
परमहंस ने बताया सांसारिक बंधनों से ऐसे पाएं छुटकारा

एक बार रामकृष्ण परमहंस नदी के घूम रहे थे। उनके साथ उनके कुछ शिष्य भी थे। रामकृष्ण परमहंस अपने शिष्यों से बातें कर रहे थे। नजदीक ही नदी के किनारे अनेक मछुआरे मछलियां पकड़ रहे थे। कभी मछलियां मछुआरों के हाथ लग जातीं, तो कभी निराशा उनके हाथ लगती।

रामकृष्ण परमहंस जाल में फंसी मछलियों की गतिविधियों को बड़े ध्यान से देख रहे थे। उन्होंने शिष्यों से कहा, ‘जाल में देखो। यहां कुछ मछलियां ऐसी हैं, जो निश्चल पड़ी हैं। उन्होंने मानो अपनी यही नियति स्वीकार कर ली है।

कुछ हैं, जो जाल से बाहर निकलने के लिए तड़प रही हैं, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद निकल नहीं पा रही हैं। वहीं कुछ मछलियां ऐसी हैं, जो अथक प्रयत्न करने पर जाल से मुक्त हो जाती हैं और फिर जल में क्रीड़ा करने लगती हैं।’

रामकृष्ण की बात सुनकर एक शिष्य बोला, ‘जी हां गुरुजी, आप सही कह रहे हैं। कुछ मछलियों ने स्वयं को जाल से मुक्त कर लिया है।’ तभी दूसरा शिष्य बोला, ‘गुरुजी, क्या इस घटना का भी मनुष्य के जीवन में महत्व है?’ उसकी बात पर रामकृष्ण बोले, ‘बिल्कुल इस घटना का मनुष्य के जीवन में बहुत गहरा महत्व है।

इन मछलियों की ही तरह मनुष्य भी तीन प्रकार के होते हैं। पहले व्यक्‍ित वे हैं, जो संसार के मायाजाल में फंसकर उससे निकलने की कोशिश ही नहीं करते। दूसरे तरह के व्यक्ति संसार से मुक्त होना चाहते हैं, लेकिन उनका प्रयत्न इतना काफी नहीं होता कि वे सांसारिक बंधनों को तोड़ सकें।

वहीं तीसरे तरह के व्यक्ति ऐसे होते हैं जो अपनी साधना से, अपने अथक प्रयास से, सांसारिक बंधनों से मुक्ति पा लेते हैं और अपनी वास्तविक आत्मा में अवस्थित होने में सफलता प्राप्त करते हैं। वास्तव में तीसरे प्रकार के व्यक्ति ही सर्वश्रेष्ठ होते हैं।’ इस तरह शिष्य रामकृष्ण परमहंस की बात से सहमत हो गए।

In English

Once Ramkrishna Paramhans was roaming the river . He had some disciples along with him. Ramkrishna Paramahansa was talking to his disciples. Nearby, many fishermen were catching fish on the banks of the river. Sometimes the fishermen take the hands of the fishermen, and they sometimes feel frustrated.

Ramkrishna Paramahansa was watching the activities of the fish trapped in the trap with great care. He said to the disciples, “Look at the trap. Here are some fishes that are stagnant. They believe that their destiny has been accepted.

There are some who are yearning to get out of the trap, but they are not able to get out despite all the efforts. On the other hand, there are some fish which are freed from the trap when they try hard and then start playing in the water.

After listening to Ramkrishna, a disciple said, ‘Yes, Guruji, you are right. Some fish have freed themselves from the trap. ‘ Then the second disciple said, ‘Guruji, is this incident also important in human life?’ On this matter Ramakrishna said, ‘This incident has very deep significance in human life.

Like these fish, there are three types of humans. The first ones are those who do not try to get out of the world by trapping them in the delusion. Other people want to be free from the world, but their efforts are not so much enough that they can break worldly bondage.

At the same time there are three types of people who, through their tireless effort, get rid of worldly bondage and achieve success in being in their real spirit. Indeed, the third type of person is the best. ‘ In this way the disciple agreed with Ramkrishna Paramhans.

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