परमेश्वर प्रथमेशा
गजानन जगदीशा
नमितो तुज आदी देवा
हृदयांच्या हे नरेशा
एकदंत लंबोदर ,
कटीस शुभ पितांबर
अति पावन, अति सुंदर ,
तव स्वरूप हे गणेशा
विघ्नेश्वर तू विधाता
अनुरागी तू अनंता
करुणाकर तू कृपाळा
वरदरूप विद्याधीशा
इस कहानी में हरिराम नामक आदमी के बदलते दृष्टिकोण और उसकी नास्तिकता से बच्चे को दवा देने की भरपूर भावना को दर्शाया गया है।.........