बहुत समय पहले इटली के छोटी से शहर में गैप्पेतो नाम का एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। गैप्पेतो बहुत ही सुंदर-सुंदर लकड़ी के खिलौने बनाया करता था जिससे बच्चे मज़े से खेला करते थे। वह बच्चों के लिए बहुत सारे खिलौने बनाया करता था। गैप्पेतो को इस बात का दुख था कि उसका कोई बच्चा नहीं था।
वह दूसरे बच्चों को देखकर हमेशा यही सोचता कि काश उसके भी बच्चे होते। एक दिन उसने सोचा कि वह लकड़ी का एक पुतला बनाएगा और उसे अपने बच्चे की तरह अपने पास रखेगा। गैप्पेतो अपने दुकान को बंद करके जंगल की ओर चला गया। वह पुतला बनाने के लिए जंगल की ओर गया ताकि वह बढ़िया से लकड़ी लेकर आ सके।
जंगल के रास्ते में उसे एक देवदार की लकड़ी का टुकड़ा मिला। उसने उस लकड़ी के टुकड़े को अपने कंधे पर रखा और अपने घर की ओर चला गया। घर पहुंचते ही उसने उस लकड़ी से पुतला बनाने का काम शुरू किया। गैप्पेतो बहुत ही ध्यान से उस पुतले को बना रहा था।
सबसे पहले उसने पुतले का मुंह बनाया फिर उसके हाथ बनाए और अंत में जाकर उसके पैर बनाएं। पुतले का गर्दन, हाथ और पैर हिल सकता था। अब पुतला पूरी तरह से तैयार हो चुका था। गैप्पेतो ने उस पुतले का नाम ‘पिनोकियो’ रखा।
पुतला बनाते-बनाते रात का समय हो चुका था। उसी समय एक टूटता हुआ तारा वहाँ से गुजरा। गैप्पेतो ने टूटे हुए तारे को देखकर कहा कि काश इस पुतले में जान होता तो यह मेरे बच्चे की तरह मुझ से बात करता और मेरे साथ खेलता।
यह सब हो जाने के बाद गैप्पेतो बहुत ही थक चुका था। वह जल्दी से जाकर अपने बिस्तर पर सो गया। वहीं टूटा हुआ तारा एक परी में बदल गई। वह परी गैप्पेतो की बातें सुनकर उसके ख्वाईश को पूरा करने का सोची। परी ने अपनी जादू की छड़ी घुमाई और वह पुतला जाग उठा। अब उस पुतले में जान आ चुकी थी। जैसी है वह पुतला जीवित हुआ उसने परी को शुक्रिया कहा।
बाद में फिर परी ने उसे कहा, “पिनोकियो तुम्हें एक अच्छा बच्चा बनना है। अपने पिताजी की बात मानना और उनका ख्याल भी रखना है। अगर तुम यह सब चीजें अच्छे से करोगे तो मैं तुम्हें एक वरदान दूंगी।”
फिर पिनोकियो ने परी से कहा, “अच्छा! मैं आपकी बात जरूर मानूँगा और अपने पिताजी का ध्यान रखूंगा। उनका खुद ख्याल रखूंगा।”
यह सब होने के बाद परी वहां से चली गई। फिर जब सुबह हुआ तब गैप्पेतो ने देखा कि उसका बनाया हुआ पुतला सामने बैठकर उसे घुर रहा था। वह अपनी पलके झपका रहा था। यह सब देख कर गैप्पेतो खुशी से झूम उठा। उसने कहा, “अरे तुम जीवित हो। तुम्हारे अंदर जान है। कल जो मैंने विश मांगी थी वह पूरी हो चुकी है। मैं बहुत खुश हूं कि तुम जीवित हो।”
इसके बाद गैप्पेतो पिनोकियो के साथ दिन भर खेलता और उसका ध्यान रखता। ऐसे करते-करते समय बीतता गया और दोनों एक साथ खुशी-खुशी रहने लगे। पिनोकियो बड़ा हो चुका था तो इस वजह से उसने अपने पिताजी से कहा, “पिताजी, मैं बड़ा हो चुका हूं और मुझे लगता है कि अब पढ़ाई करने के लिए मुझे स्कूल जाना चाहिए। क्या आप मुझे कुछ पेंसिल और किताब लेकर दे सकते हैं? ताकि मैं स्कूल में जाकर पढ़ाई कर सकूं।”
हां।” गैप्पेतो ने पिनोकियो से कहा, “मेरे बच्चे मैं अभी यह सब चीजें तुम्हें लाकर देता हूं।”
यह कहकर गैप्पेतो तुरंत बाजार की ओर चला गया। गैप्पेतो के पास पैसे नहीं थे इसलिए उसने अपना कोट बेच दिया। उसके बदले उसे कुछ पैसे मिले और उन पैसों को वह जाकर पिनोकियो को दे दिया। उससे पिनोकियो से कहा, “तुम्हें जो भी चीजों की जरूरत हो तुम इन पैसों से खरीद लेना।”
पिनोकियो ने कहा, “जी हां पिताजी। आप जैसा कह रहे है मैं वैसे ही करूंगा। लेकिन, आपकी कोर्ट कहां है वह मुझे नहीं दिख रही?”
“अरे वह बहुत पुरानी हो गई थी। मुझे उसको पहनने का भी मन नहीं करता। मैं उसे नहीं पहन सकता। तुम चिंता मत करो जाओ और जाकर के स्कूल में जाकर पढ़ाई करो।”
पिनोकियो उन पैसों को लेकर स्कूल की ओर जाने लगा। सबसे पहले वह कुछ पेंसिल और किताब खरीदना चाहता था। लेकिन चलते-चलते रास्ते मे एक जगह पर बहुत सारे लोगों को देखा। वहाँ बहुत भीड़ था। पिनोकियो लोगों के बीच से होता हुआ आगे गया। उसने देखा कि बहुत ही बड़ा टेंट लगा हुआ था उसमें लिखा हुआ था सर्कस।
सर्कस के गेट पर एक जोकर खड़ा था। पिनोकियो उस सर्कस के अन्दर जाने लगा। जैसे ही वह दरवाज़े के पास पहुचा जोकड़ ने उसे रोक लिया और उससे कहा, “तुम अन्दर नहीं जा सकते। अंदर जाने के लिए तुम्हें टिकट लेना होगा।”
यह सुनकर पिनोकियो ने सोचा कि उसके पास कोई टिकट नही है तो वह अन्दर कैसे जा सकता है? फिर जोकर ने बताया कि पिनोकियो को कुछ पैसे देने होंगे और उसके बदले में उसे टिकट मिल जाएगा। पिनोकियो के हाथ में कुछ पैसे थे जिसे उसके पिताजी ने दिए थे। बिना सोचे समझे पिनोकियो ने उन पैसों को जोकर को दिया और बदले में टिकट ले लिया। पिनोकियो अब अंदर जा सकता था।
वह अंदर गया। अंदर जाकर ने ढ़ेर सारे करतब देखें, जादूगर देखें, बहुत सारे भालू, जानवर, शेर आदि इन सब के करतब भी देखें। पिनोकियो इन सब को देखकर बहुत खुश हुआ।
जब पिनोकियो इन सब चीजों के मजे ले रहा था। तभी सर्कस का मालिक उसे देखने लगा। सर्कस के मालिक ने देखा की यह पुतला चल सकता है और बोल सकता है। मालिक ने सोचा कि अगर वह इस पुतले को अपने पास रख लो तो उसे कठपुतली के कार्यक्रम के लिए लोगों को पैसे नहीं देने पड़ेंगे। तो अंत में जैसे ही पिनोकियो सर्कस से बाहर निकल रहा था तो सर्कस के मालिक ने उसे पकड़ लिया।
मालिक ने उससे कहा, “अब तुम मेरे हो और तुम यही रहोगे और मेरे सर्कस में करतब दिखाओगे।”
पिनोकियो ने फिर उससे कहा, नहीं मुझे माफ कर दीजिए। मैं अपने पिताजी के पैसों को यहां पर यूं ही बर्बाद कर दिया। उन्होनें मुझे वह पैसे किताबे खरीदने के लिए दिये थे। अब मुझे कैसे भी कर स्कूल के लिए पैसे जुटाने होंगे।” पिनोकियो शर्मिंदा था और वह बार-बार उस मालिक से विनती कर रहा था। पिनोकियो की बात सुनकर उस मालिक को दया आ गई और उसने पिनोकियो को 5 सोने के सिक्के दिए जिससे कि वह स्कूल की चीजें खरीद सके।
उन सिक्कों को पाकर पिनोकियो ने कहा कि वह अब सीधे वही करेगा जिसके लिए वह बाहर निकला था और इसके अलावा वह कुछ भी नहीं करेगा। पिनोकियो उन सिक्कों को लेकर आगे निकल पड़ा।
चलते-चलते रास्ते में एक लोमड़ी और एक बिल्ली ने पिनोकियो को देखा। उन्होंने देखा कि पिनोकियो के हाथ में कुछ सोने के सिक्के है और लोमड़ी और बिल्ली ने पिनोकियो के सिक्के को लूटने का सोचा।
वे दोनों उसे बेवकूफ बनाना चाहते थे और उसके सिक्के को हड़पना चाहते थे। दोनों पिनोकियो के सामने आ गए और कहा, “क्या बात है तुम कहां जा रहे हो?”
“मैं स्कूल की किताबें खरीदने के लिए जा रहा हूं।”
“अरे तुम बर्गर और मिल्क आइसक्रीम क्यों नहीं खरीदते?” उन दोनों ने पिनोकियो से कहा।”
पिनोकियो ने जवाब दिया, “नहीं-नहीं मेरे पास इतने ज्यादा पैसे नहीं है। मुझे किताबे खरीदनी है और मैं यह ऐसे ही बर्बाद नहीं कर सकता।”
“अरे तुम नहीं जानते कि इन सिक्कों से तुम बहुत कुछ कर सकते हो।”
“अच्छा ऐसी बात है।” पिनोकियो ने कहा।
“चलो आओ हम तुम्हें एक ऐसी जगह दिखाएंगे जहां तुम इसे बो सकते हो और इससे ढेर सारे सिक्के बना सकते हो। बिल्ली ने पिनोकियो से कहा। अब पिनोकियो उन दोनों के साथ जा रहा था। दौड़ते-दौड़ते तीनों एक जगह पर पहुंचे। लेकिन लोमड़ी चुपके से पीछे से वहां से चली गई।
बिल्ली ने पिनोकियो को एक जगह दिखाई और कहा, “हां तुम इस सिक्कों को यहाँ बो सकते हो जिससे कि तुम्हें और भी बहुत सारे सिक्के मिलेंगे।”
दोनों ने मिलकर गड्ढ़ा खोदा और उस गड्ढे में सिक्कों को डाल दिया। पिनोकियो ने सिक्कों को मिट्टी से ढक दिया।
ऐसा करने के बाद बिल्ली ने पिनोकियो को डराया और धमकाया, “यह सिक्के हमारे हैं और तुम यह से बचकर नहीं जा सकते। बिल्ली पिनोकियो को डरा रहा था। तब पिनोकियो धीरे-धीरे पीछे खिसक रहा था और अचानक से वह ऐसे गड्ढे में गिर गया जिसका उसे पता नहीं था।
अब पिनोकियो गड्ढे के अंदर गिर पड़ा। इसके बाद बिल्ली और लोमड़ी ने सिक्को को निकाल लिया और वे वहां से चले गए। ऐसा होने के बाद पिनोकियो बहुत ही ज्यादा उदास था और वह उस गड्ढे के अंदर बैठे-बैठे रो रहा था। तभी वह परी पिनोकियो के पास आई और परी ने पिनोकियो से पूछा, “आखिर तुम वहां क्या कर रहे हो?”
पिनोकियो सारी बातें परी को बताया। कुछ देर बाद पिनोकियो की नाक अपने आप बड़ी होने लगी। पिनोकियो अपनी लंबी नाक को देखकर अचंभित हो गया। उसने सोचा कि आखिर ऐसा हो क्या रहा है?
परी ने जवाब दिया, “तुमने झूठ कहा था। इस वजह से तुम्हारी नाक लंबी हो रही है। जितनी बार भी झूठ बोलोगे तुम्हारी नाक लंबी होगी।” ऐसा होने के बाद पिनोकियो ने परी से माफी मांगी।
पिनोकियो के माफ़ी माँगने के बाद परी ने उसे गड्ढे से बाहर निकाला और उसे कहा, “अपने घर जाओ और अपने पिताजी का ध्यान रखो।
पिनोकियो अपने घर की ओर जा रहा था तब रास्ते में उसे उसका एक दोस्त मिला उसका नाम रोमियो था। रोमियो ने पिनोकियो को आवाज़ लगाई और कहा, “तुम कहां जा रहे हो पिनोकियो? मेरे साथ आओ मैं टॉयलैंड जा रहा हूं। सुना है कि वहां बहुत सारे खेलने की चीजें हैं। खाने की चीजें हैं। वहां हम खूब मजे कर सकते हैं और हमें रोकने के लिए कोई भी वहां नहीं होगा।”
रोमियो की इन सब बातों को सुनकर पिनोकियो रोमियो के साथ टॉयलेट की ओर चला गया। दोनों टॉयलैंड में गए और बहुत दिनों तक वहां रहकर खुब मजे किए। उन्होंने ढेर सारे चॉकलेट खाए। सारे खेल खेले।
कुछ दिनो के बाद पिनोकियो ने देखा कि उसकी कान एक गधे की तरह बड़ी हो चुकी थी और उसकी पुछ भी थी। पिनोकियो सोचने लगा कि आखिर उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है? फिर उसने देखा कि उस टॉयलैंड का मालिक गधों को बाजार में जाकर बेच दिया करता था।
दरअसल वहां हुआ यह करता था कि टॉयलैंड का मालिक एक गधा व्यापारी था। वह बच्चों को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह की चीजें दिया करता और उने गधे में बदल देता। गधे में तब्दील हो जाने के बाद वे उन्हें बाजार में ऊंचे दामों में बेच दिया करता। यह सब बातें पिनोकियो जान चुका था और ऐसे मे वह भागते-भागते अपने घर की ओर वापस आने लगा।
जब वह अपने घर जा रहा था तो उसने सुना कि उसके पिताजी बहुत दिनों से उसकी तलाश कर रहे थे। जब उन्होंने पिनोकियो की कोई खबर नहीं सुनी तो वे समुंदर की और उसे खोजने के लिए चल पड़े। उस समुंदर में एक बड़ा सा तूफान आया और वे वहीं उस तूफान में खो गए।
पिनोकियो अपने पिता की तलाश में समुद्र की ओर गया और वह तैरते-तैरते समुंदर के बीच जा पहुंचा। पिनोकियो लकड़ी का बना हुआ था इसलिए वह पानी में नहीं डूबा।
जब पिनोकियो तैर रहा था तब उसके पीछे एक बड़ी सी व्हेल आई और उसे निगल गई। पिनोकियो व्हेल के पेट मे था और वहाँ बहुत अन्धेर था।
जब वह व्हेल के पेट में था तब वह रोते हुए बोला, “काश मैं अपने पिताजी को छोड़कर कहीं नहीं होता तो मैं आज उनके साथ होता।”
तभी अचानक से पीछे एक आवाज आई, “चिंता मत करो बच्चे। मैं यही हूं। मैं तुम्हारे साथ हूं।” यह आवाज पिनोकियो की पिताजी की थी। फिर गैप्पेतो ने माचिस जलाई और अन्धेर चल गया। अपने पिता को देखकर पिनोकियो बहुत खुश हुआ और फिर दोनों ने वहां से निकलने का तरकीब सोचा।
पिनोकियो और उसके पिता ने व्हेल के पेट की बची हुई लकड़ी पर आग लगाया। आग की वजह से उस व्हेल के गले में और नाक में धुआं भरने लगा। जैसे ही धुआ उसके पूरे शरीर में भर रहा था। व्हेल जोर-जोर से खासना चालू किया।
उसके खासने की वजह से पिनोकियो और उसके पिताजी तुरंत ही व्हेल के मुंह से बाहर आ गए। इसके बाद दोनों तैर कर समुद्र तट पर आ पहुचे।
दोनों वहां से अपने घर की ओर चले गए और फिर इस तरह से दोनों एक दूसरों के साथ रहा करते और बड़े अच्छे से एक दूसरें का ध्यान रखते थे।