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जीवन जोशी की रचनाये

शीर्षक : आस्तीन
यहां कुछ भूरे हैं कुछ काले हैं
सब हमने आस्तीन में पाले है।
दूसरों में तब्दीली चाहते थे हम
अब खुद हम बदलने वाले है।

नजरें नीची कर चलते थे वो
समझा हमने वो भोले-भाले हैं।
ये आज तक जान नहीं पाते हम
वो हमारा ही शिकार करने वाले है।

उसने तो दिखा दी थी कई बार औकात
जीवन तू ही समझता रहा इसे सौगात
आप भी बचाकर रखना हमेशा आस्तीन
नहीं तो रह जाओगे जीवनभर बजाते बीन

  • जीवन जोशी, अम्बाला (हरियाणा)

शीर्षक : धोखा
झूठ के बाजार में तू सच ढूंढने चला था,
पहले भी जानता था कि वो क्या बला था।
उसको कैसे गलत ठहराएगा ऐ जीवन,
उसने तो इशारा किया तू ही दौड़ चला था।
जो अपने संगी-साथियों का न हुआ आज तक,
नहीं जानता था तू कि वो क्या जलजला था
अब भी शुक्र मना तू उसकी शराफत का
वक्त सही था, तुझे नाज था अपनी कला का

शीर्षक : झूठ

झूठ हो गया आम साथियों
सत्य आज अपवाद हो गया
सच्चाई पर चलने वाला ही
लुट गया और बर्बाद हो गया
वो तो खा गए मुर्ग मुसल्लम
अपने लिए सब अवसाद हो गया
खता तो अपनी ही निकली सब
क्या हुआ वो इस्लामाबाद हो गया
मन में मत शिकन रख ए ‘जीवन’
वो मुर्दा ही था जो मुर्दाबाद हो गया

-जीवन जोशी, अंबाला-हरियाणा [94667-19017]

Translate into English

Title: Sleeve
Here some are brown some are black
All we have in our sleeves.
We wanted change in others
Now we ourselves are about to change.

he used to lower his eyes
Understand that we are innocent.
We still don’t know this
He is our huntsman.

He had shown his position many times
You kept understanding life, it was a gift
You also always keep sleeves
Otherwise you will be left playing the bean for the rest of your life

Jeevan Joshi, Ambala (Haryana)

Title: Cheating
You went to find the truth in the market of lies,
He already knew what it was.
How will he be wrong, O life,
He indicated that you were running.
Who has not happened to his fellow comrades till today,
you didn’t know what it was
still thank you for his decency
Time was right, you were proud of your art

Title: Lie

Lie has become common comrades
Truth is the exception today
one who walks the truth
robbed and ruined
they ate chicken musallam
Got all depressed for myself
The account turned out to be its own
what happened he became islamabad
Don’t keep ‘life’ in mind
it was the dead who died

-Jeevan Joshi, Ambala-Haryana [94667-19017]

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