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राजा भोज और व्यापारी

यह एक मनोवैज्ञानिक सत्य है कि जैसा भाव हमारे मन मेे होता है वैसा ही भाव सामने वाले के मन में आता है। इस सबंध में एक ऐतिहासिक घटना सुनी जाती है जो इस प्रकार है-

कहते हैं कि एक बार राजा भोज की सभा में एक व्यापारी ने प्रवेश किया। राजा ने उसे देखा तो देखते ही उनके मन में आया कि इस व्यापारी का सबकुछ छीन लिया जाना चाहिए। व्यापारी के जाने के बाद राजा ने सोचा –

मै प्रजा को हमेशा न्याय देता हूं। आज मेेरे मन में यह अन्याय पूर्ण भाव क्यों आ गया कि व्यापारी की संपत्ति छीन ली जाये.

उसने अपने मंत्री से सवाल किया मंत्री ने कहा, “इसका सही जवाब कुछ दिन बाद दे पाउंगा, राजा ने मंत्री की बात स्वीकार कर ली। मंत्री विलक्षण बुद्धि का था वह इधर-उधर के सोच-विचार में सयम न खोकर सीधा व्यापारी से मिलने पहूंचा। व्यापारी से दोस्ती करके उसने व्यापारी से पूछा, “तुम इतने चिंतित और दुखी क्या हो? तुम तो भारी मुनाफे वाला चंदन का व्यापार करते हो।”

व्यापारी बोला, “धारा नगरी सहित मैं कई नगरों में चंदन की गाडीयां भरे फिर रहा हूं, पर चंदन इस बार चन्दन की बिक्री ही नहीं हुई! बहुत सारा धन इसमें फंसा पडा है। अब नुकसान से बच पाने का कोई उपाय नहीं है।

व्यापारी की बातें सुन मंत्री ने पूछा, “क्या अब कोई भी रास्ता नही बचा है?”

व्यापारी हंस कर कहने लगा अगर राजा भोज की मृत्यु हो जाये तो उनके दाह-संस्कार के लिए सारा चंदन बिक सकता है।

मंत्री को राजा का उत्तर देने की सामग्री मिल चुकी थी। अगले दिन मंत्री ने व्यापारी से कहा कि, तुम प्रतिदिन राजा का भोजन पकाने के लिए एक मन (40 kg) चंदन दे दिया करो और नगद पैसे उसी समय ले लिया करो। व्यापारी मंत्री के आदेश को सुनकर बड़ा खुश हुूआ। वह अब मन ही मन राजा की लंबी उम्र होने की कामना करने लगा।

एक दिन राज-सभा चल रही थी। व्यापारी दोबारा राजा को वहां दिखाई दे गया। तो राजा सोचने लगा यह कितना आकर्षक व्यक्ति है इसे क्या पुरस्कार दिया जाये?

राजा ने मंत्री को बुलाया और पूछा, “मंत्रीवर, यह व्यापारी जब पहली बार आया था तब मैंने तुमसे कुछ पूछा था, उसका उत्तर तुमने अभी तक नहीं दिया। खैर, आज जब मैंने इसे देखा तो मेरे मन का भाव बदल गया! पता नहीं आज मैं इसपर खुश क्यों हो रहा हूँ और इसे इनाम देना चाहता हूँ!

मंत्री को तो जैसे इसी क्षण की प्रतीक्षा थी। उसने समझाया-

महाराज! दोनों ही प्रश्नों का उत्तर आज दे रहा हूं। जब यह पहले आया था तब अपनी चन्दन की लकड़ियों का ढेर बेंचने के लिए आपकी मृत्यु के बारे में सोच रहा था। लेकिन अब यह रोज आपके भोजन के लिए एक मन लकड़ियाँ देता है इसलिए अब ये आपके लम्बे जीवन की कामना करता है। यही कारण है कि पहले आप इसे दण्डित करना चाहते थे और अब इनाम देना चाहते हैं।

मित्रों, अपनी जैसी भावना होती है वैसा ही प्रतिबिंब दूसरे के मन पर पड़ने लगता है। जैसे हम होते है वैसे ही परिस्थितियां हमारी ओर आकर्षित होती हैं। हमारी जैसी सोच होगी वैसे ही लोग हमें मिलेंगे। यहीं इस जगत का नियम है – हम जैसा बोते हैं वैसा काटते हैं…हम जैसा दूसरों के लिए मन में भाव रखते हैं वैसा ही भाव दूसरों के मन में हमारे प्रति हो जाता है!

अतः इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि हमेशा औरों के प्रति सकारात्मक भाव रखें।

Translate into Hindi to English

It is a psychological truth that as the spirit comes in our mind, the same feeling comes in the mind of the face. In this context, a historic event is heard, which is as follows:

It is said that once a trader entered the Raja Bhoj meeting. When the king saw him, he came to mind that everything of this businessman should be stripped. After the businessman went, the king thought –

I always give justice to the people. In my mind, why did this injustice happen in my mind that the property of the business was taken away?

He questioned his minister, the minister said, “I will give the correct answer some days later, Raja accepted the minister’s statement. The minister was of extraordinary intelligence, he did not lose sight of the thoughts and thoughts of the direct businessman. Having a friendship with the businessman, he asked the businessman, “What are you so worried and unhappy? You do the business of sandalwood with huge profits. ”

The trader said, “With the City of the City I have been full of Chandan’s trains in many cities, but Chandan has not been selling Chandan this time! A lot of money is trapped in it. There is now no way to escape from the loss.

The minister asked the trader to listen, “Is there no way left now?”

The trader began to laugh and said that if Raja Bhoj dies, all sandalwood can be sold for his cremation.

The minister had got the material to answer the king. The next day, the minister told the businessman, “Give me a heart (40 kg) sandalwood to cook the king’s food every day and take cash money at the same time. The businessman was happy to hear the order He now began to wish Mana King to be a long life.

One day the secret meeting was going on. The trader was seen there again. So the king began to think that how attractive it is to be given this award?

The king summoned the minister and asked, “Minister, when this businessman came for the first time, I asked you something, you have not answered him yet. Well, when I saw it today, the sense of my mind changed! I do not know why I am happy about this and want to reward it!

The minister was then waiting for such a moment. she explained-

King! I am answering both questions today. When it came earlier, you were thinking about your death to sell your sandalwood sticks. But now it gives a mind stick to your food every day, so now she wished for your long life. This is the reason why you wanted to punish it first and now you want to reward.

Friends, the reflection starts to fall on the other’s mind like that of your own. Just as we are, situations are attracted to us. We will meet people like we think. Here is the rule of this world – we bite like we do … As we like others in our heart, the same sense becomes in our hearts!

Therefore, we get this lesson from this story that always have a positive feeling towards others.

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