ये है राम-नामी जनजाति…..जंगल में रहने वाले ये लोग अपने लगभग पूरे शरीर पर भगवान राम का नाम गुदवाते हैं, वो भी स्थायी रूप से।कहते हैं जब बाबर ने राम मन्दिर तोडा तो इस समुदाय के पूर्वजो ने कहा राम मन्दिर हमसे छीन लिया किन्तु राम को कैसे छीन पाओगे । तब इनके पूर्वजों ने कहा था कि राम को हमसे छीनकर बताओ तो जाने….राम को हमसे कोई अलग नहीं कर सकता।इस तरह से जनजाति में पूरे शरीर पर राम का नाम गुदवाने की परंपरा चल बसी। आजतक ये जनजाति किसी दूसरे मनुष्य निर्मित तथाकथित धर्म में परिवर्तित न हो सकी।ये लोग कट्टर रामपंथी होते हैं। अब इस जनजाति के लोग मन्दिर भी जाते हैं । अब परिस्थितियां बदल गयी मगर राम नाम लिखने की परंपरा आज तक न बदली।
एक ऐसी संस्कृति, जिसमें राम नाम को कण-कण में बसाने की परम्परा है.
इसी परम्परा के तहत इस संप्रदाय से जुड़े लोग अपने पूरे शरीर पर “राम-राम” का गुदना अर्थात स्थाई टैटू बनवाते हैं, राम-राम लिखे कपड़े धारण करते हैं, घरों की दीवारों पर राम-राम लिखवाते हैं, आपस में एक दूसरे का अभिवादन राम-राम कह कर करते हैं, यहां तक कि एक-दूसरे को राम-राम के नाम से ही पुकारते भी हैं.
इस राम नामी जनजाति को समस्त हिंदुओं की तरफ से कोटि कोटि नमन। जय जय श्री राम