रामनवमी व्रत विधि | Ramnavami Vrat Vidhi
राम नवमी व्रत महिलाओं के द्वारा किया जाता है. इस दिन व्रत करने वाली महिला को प्रात: सुबह उठना चाहिए. और सुबह उठकर, पूरे घर की साफ- सफाई कर घर में गंगा जल छिडकर कर, शुद्ध कर लेना चाहिए. इसके पश्चात स्नानक कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
इसके बाद एक लकडी के चौकोर टुकडे पर सतिया बनाकर एक जल से भरा गिलास रखती है. और साथ ही अपनी अंगुली से चांदी का छल्ला निकाल कर रखती है. इसे प्रतीक रुप से गणेशजी माना जाता है. व्रत कथा सुनते हाथ में गेहूं-बाजरा आदि के दाने लेकर कहानी सुनने का भी महत्व कहा गया है.
व्रत वाले दिन मंदिर में अथवा मकान पर ध्वजा, पताका, तोरण और बंदनवार आदि से सजाने का विशेष विधि -विधान है. व्रत के दिन कलश स्थापना और राम जी के परिवार की पूजा करनी चाहिए. दिन भर भगवान श्री राम का भजन, स्मरण, स्तोत्रपाठ, दान, पुन्य, हवन, पितृश्राद्व और उत्सव किया जाना चाहिए. और रात्रि में भी गायन, वादन करना शुभ रहता है.
रामनवमी व्रत कथा | Ram Navami Vrat Katha in Hindi
वन में राम, सीता और लक्ष्मण जा रहे थे. सीता जी और लक्ष्मण को थका हुआ देखकर राम जी ने थोडा रुककर आराम करने का विचार किया और एक बुढिया के घर गए. बुढिया सूत कात रही थी. बुढिया ने आवभगत की और बैठाया, स्नान-ध्यान करवाकर भोजन करवाया. राम जी ने कहा- बुढिया माई, पहले मेरा हंस मोती चुगाओं, तो में भी करूं. बेचारी के पास मोती कहां से आवें, सूत कात कर गरीभ गुजारा करती थी.
पर अतिथि को ना कहना भी वह ठिक नहीं समझती थी. दुविधा में पड गई. अत: दिन को मजबूत कर राजा के पास पहुंच गई. और अंजली मोती देने के लिये विनती करने लगी. राजा अपना अंचम्बे में पडा कि इसके पास खाने को दाने नहीं है. और मोती उधार मांग रही है. इस स्थिति में बुढिया से मोती वापस प्राप्त होने का तो सवाल ही नहीं उठता. पर आखिर राजा ने अपने नौकरों से कहकर बुढिया को मोती दिला दिये़.
बुढिया लेकर घर आई, हंस को मोती चुगाएं, और मेहमानों को आवभगत की. रात को आराम कर सवेरे राम जी, सीता जी और लक्ष्मण जी जाने लगें. जाते हुए राम जी ने उसक�� पानी रखने की जगह पर मोतीयों का एक पेड लगा दिया. दिन बीते पेड बडा हुआ, पेड बढने लगा, पर बुढिया को कु़छ पता नहीं चला. पास-पडौस के लोग चुग-चुगकर मोती ले जाने लगें.
एक दिन जब वह उसके नीचे बैठी सूत कात रही थी. तो उसके गोद में एक मोती आकर गिरा. बुढिया को तब ज्ञात हुआ. उसने जल्दी से मोती बांधे और अपने कपडे में बांधकर वह किले की ओर ले चली़. उसने मोती की पोटली राजा के सामने रख दी. तो इतने सारे मोती देख राजा अचम्भे में पड गया. उसके पूछने पर बुढिया ने राजा को सारी बात बता दी. राजा के मन में लालच आ गया.
वह बुढिया से मोती का पेड मांगने लगा. बुढिया ने कहा की आस-पास के सभी लोग ले जाते है. आप भी चाहे अतो ले लें. मुझे क्या करना है. राजा ने तुरन्त पेड मंगवाया और अपने दरवार में लगवा दिया. पर रामजी की मर्जी, मोतियों की जगह कांटे हो गये और आते -आते लोगों के कपडे उन कांटों से खराब होने लगें. एक दिन रानी की ऎडी में अएक कांटा चुभ गया और पीडा करने लगा. राजा ने पेड उठवाकर बुढिया के घर वापस भिजवा दिया. तो पहले की तरह से मोती लगने लगें. बुढिया आराम से रहती और खूब मोती बांटती.
रामनवमी व्रत फल | Ramnavami Vrat Benefits
श्री रामनवमी का व्रत करने से व्यक्ति के ज्ञान में वृ्द्धि होती है. उसकी धैर्य शक्ति का विस्तार होता है. इसके अतिरिक्त उपवासक को विचार शक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, भक्ति और पवित्रता की भी वृ्द्धि होती है. इस व्रत के विषय में कहा जाता है, कि जब इस व्रत को निष्काम भाव से किया जाता है. और आजीवन किया जाता है, तो इस व्रत के फल सर्वाधिक प्राप्त होते है.