नंदगाँव से होली खेलने , आयो माखनचोर,
वो होरी में , मोहे रंग गयो नंदकिशोर,
अरी वो होरी में , मोहे रंग गयो नंदकिशोर,
रंग बिरंगी भर के मारी पिचकारी,
रंग दी कन्हिया ने मेरी रेशमी सारी,
मोह पे मलो गुलाल , चलो ना मेरो कोई जोर,
अरी वो होरी में , मोहे रंग गयो नंदकिशोर…….
बोले यू कान्हा तोसे , खेलू गा होरी,
चले गी ना चाल कोई , बरसाने की छोरी,
आयो लेके टोली , वो बरसाने की और,
अरी वो होरी में , मोहे रंग गयो नंदकिशोर…….
बुलाले कहाँ है तेरी , सखियां सहेली,
छोड़ के कहाँ चली गई , तुझको अकेली,
ग्वाल बाल संग घेरी , मेरे फिर गयो चारो और,
अरी वो होरी में , मोहे रंग गयो नंदकिशोर…….
बोले कन्हिया होली खेलो मन भाए,
ऐसी तो होली राधा फिर कभी ना आये,
संग हरीश के मोहन कौशिक के खेले है चितचोर,
अरी वो होरी में , मोहे रंग गयो नंदकिशोर…….