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रानी अहिल्याबाई होल्कर

रानी अहिल्याबाई होल्कर मराठा साम्राज्य की एक प्रतिष्ठित और आदर्श शासिका थीं, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में मालवा क्षेत्र पर शासन किया था। उनका जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के चौड़ी गाँव में हुआ था। वे होल्कर वंश के मल्हारराव होल्कर की पुत्रवधू और खंडेराव होल्कर की पत्नी थीं।

अहिल्याबाई होल्कर का शासन

1767 में अपने पुत्र मल्हारराव होल्कर की असामयिक मृत्यु के बाद, अहिल्याबाई ने इंदौर की गद्दी संभाली और न्यायप्रिय, धर्मपरायण और कुशल शासिका के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने प्रशासनिक सुधार किए, कर प्रणाली को व्यवस्थित किया और सैनिकों का नेतृत्व भी किया।

महान धर्मपरायणता और लोककल्याणकारी कार्य

अहिल्याबाई केवल एक योद्धा और कुशल शासक ही नहीं, बल्कि धार्मिक प्रवृत्ति की भी थीं। उन्होंने कई मंदिर, धर्मशालाएँ, कुएँ, और सरायों का निर्माण करवाया। विशेष रूप से, उन्होंने वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर, गया में विष्णुपद मंदिर और अन्य कई धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण करवाया।

मृत्यु और विरासत

रानी अहिल्याबाई होल्कर का निधन 13 अगस्त 1795 को हुआ। उनकी नीतियाँ और कार्य आज भी प्रशंसा के योग्य हैं। उन्हें भारतीय इतिहास की सबसे न्यायप्रिय और लोकहितकारी शासकों में से एक माना जाता है।

उनकी महानता को सम्मानित करते हुए भारत सरकार ने 1996 में उनके नाम पर डाक टिकट जारी किया था, और 2017 में इंदौर के एयरपोर्ट का नाम बदलकर “देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा” रखा गया।

उनका जीवन एक प्रेरणा है कि किस तरह एक महिला ने न केवल अपने राज्य को सँवारा, बल्कि समूचे भारत में अपनी अमिट छाप छोड़ी। 🚩

रानी अहिल्याबाई होल्कर ने द्वारिका, रामेश्वर, बद्रीनारायण, सोमनाथ, अयोध्या, जगन्नाथ पुरी, काशी, गया, मथुरा, हरिद्वार, आदि स्थानों पर कई प्रसिद्ध एवं बड़े मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया।
रानी अहिल्याबाई होल्कर ने अयोध्या और नासिक में भगवान राम के मंदिर का निर्माण किया, उज्जयिनी में चिंतामणि गणपति मंदिर का निर्माण किया, सोमनाथ के मंदिर का पुनर्निर्माण किया, जगन्नाथपुरी मंदिर को दान दिया |

अहमदनगर जिले के जामखेड़ तहसील के चौंडी ग्राम में मणकोजी शिंदे के घर में हुआ।
रानी अहिल्याबाई होल्कर ने द्वारिका, रामेश्वर, बद्रीनारायण, सोमनाथ, अयोध्या, जगन्नाथ पुरी, काशी, गया, मथुरा, हरिद्वार, आदि स्थानों पर कई प्रसिद्ध एवं बड़े मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया।
रानी अहिल्याबाई होल्कर ने अयोध्या और नासिक में भगवान राम के मंदिर का निर्माण किया, उज्जयिनी में चिंतामणि गणपति मंदिर का निर्माण किया, सोमनाथ के मंदिर का पुनर्निर्माण किया, जगन्नाथपुरी मंदिर को दान दिया |

अहिल्या बाई होल्कर क्यों प्रसिद्ध थी?
राजमाता अहिल्याबाई होल्कर मालवा राज्य की होलकर रानी थीं। उन्हें भारत की सबसे दूरदर्शी महिला शासकों में से एक माना जाता है। 18वीं शताब्दी में, मालवा की महारानी के रूप में, उन्होंने धर्म के संदेश को फैलाने और औद्योगीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

क्या अहिल्या ने अपने बेटे को सजा दी?
अहिल्याबाई को न्याय की देवी कहा जाता था। उनके बारे में एक घटना का उल्लेख बहुत प्रचलित है। उसके अनुसार, अहिल्याबाई ने अपने ही बेटे को कुचलने के लिए रथ पर सवार होकर यात्रा की थी।

अहिल्या बाई को किसने पढ़ाया?
उनके पिता मनकोजी राव शिंदे गांव के पाटिल थे। उस समय महिलाएं स्कूल नहीं जाती थीं, लेकिन अहिल्याबाई के पिता ने उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाया।

क्या अहिल्या एक सच्ची कहानी है?
The Untold Story of the Brave Maratha Warrior Queen Ahilyabai …
अहिल्या का संबंध किसी शाही परिवार से नहीं था, लेकिन अधिकांश लोग इतिहास में उनके प्रवेश को भाग्य का खेल मानते हैं। यह उस समय की बात है जब मालवा क्षेत्र के प्रशंसित राजा मल्हार राव होलकर ने पुणे जाते समय चौंडी में मंदिर में सेवा करते हुए आठ वर्षीय अहिल्याबाई को भूखे और गरीबों को भोजन कराते हुए देखा था।

अहिल्याबाई के बाद किसने शासन किया?
मल्हार राव होलकर के दत्तक पुत्र तुकोजी राव होलकर (शासनकाल 1795-1797) ने रानी अहिल्याबाई की मृत्यु के बाद कुछ समय के लिए उनका स्थान लिया। तुकोजी राव पूरे शासनकाल में अहिल्याबाई के अधीन सेनापति रहे थे।

क्या अहिल्या बाई होल्कर शिक्षित है?
उनका जन्म 31 मई 1725 को चोंडी में गांव के मुखिया मनकोजी शिंदे के घर हुआ था। उस समय महिलाएं स्कूल नहीं जाती थीं, लेकिन उनके पिता ने स्वयं उन्हें शिक्षित किया और पढ़ना-लिखना सिखाया।

अहिल्याबाई होल्कर ब्राह्मण थी?
अहिल्याबाई होल्कर का जन्म मोरोपंत त्र्यंबक पेशवा के चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। अहिल्याबाई होल्कर परिवार का पेशवा वंश से गहरा संबंध था और वे प्रभावशाली प्रशासनिक पदों पर थे।

क्या होल्कर परिवार अभी भी मौजूद है?
महेश्वर की कहानी और उससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि होलकर परिवार का इतिहास महेश्वर और इंदौर क्षेत्र में गहराई से समाया हुआ है। होलकर राज्य की शुरुआत 1740 में हुई थी, जिसकी स्थापना मल्हार राव होलकर ने की थी और यह आज भी अहिल्या किले में मौजूद है।

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