Breaking News

सफलता के साधन

किसी लक्ष्य की प्राप्ति में श्रद्धा का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। यदि किसी कार्य को श्रद्धा, निष्ठा और विवेक से किया जाए, तो सफलता मिलने में कोई संदेह नहीं रहता।

उपनिषदों में कहा गया है, ‘अंतरात्मा का ज्ञान सहज स्फुरित व प्रत्यक्ष होता है और ऐसी अंतरात्मा की क्रिया को ही श्रद्धा कहते हैं। श्रद्धा अपने आपमें सदा अविचल होती है। इसमें तर्क-वितर्क का स्थान नहीं होता। ‘ वेदों में कहा गया है कि विवेक व श्रद्धा के माध्यम से ही भगवान् की प्राप्ति संभव है।

श्रद्धा सूक्त में आह्वान किया जाता है, ‘हे श्रद्धे, हम लोगों को अपने इष्ट की प्राप्ति के साधन में श्रद्धावान बनाओ।’ सिद्धांतों व नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए,

धर्म और कर्तव्य के प्रति श्रद्धा भावना के कारण ही हजार-हजारों लोग प्राणोत्सर्ग तक करने को तैयार हो जाते हैं। यदि राष्ट्र के प्रति श्रद्धा है, तो वह ‘मातृभूमि’ की तरह पूजनीय बन जाता है और अगर श्रद्धा नहीं है, तो वह जमीन का टुकड़ा मात्र है।

श्री अरविंद आश्रम की श्रीमाँ कहती हैं, ‘अंतरात्मा से उपजी श्रद्धा सदा सच्ची होती है, पर यदि तुम्हारी बाह्य सत्ता में छल-कपट है और यदि तुम आध्यात्मिक जीवन के बदले वैयक्तिक सिद्धियों की प्राप्ति का प्रयत्न कर रहे हो, तो यह चीज तुम्हें पथभ्रष्ट कर सकती है।’

वास्तव में जब श्रद्धा विवेकहीन होकर, चाहे जिसके प्रति आकृष्ट होने लगती है, तो वह ‘अंध श्रद्धा’ बनकर पतन का कारण बनती है। स्वयं सदाचार का जीवन जीने वाला और छल-प्रपंच से दूर रहनेवाला ही श्रद्धा का वास्तविक लाभ उठाने का पात्र होता है।

English Translation

Faith plays an important role in achieving any goal. If any work is done with faith, devotion and discretion, then there is no doubt in getting success.

It is said in the Upanishads, ‘The knowledge of the soul is spontaneous and evident, and such an action of the soul is called Shraddha. Faith in itself is always unshakeable. There is no place for argument in this. It is said in the Vedas that the attainment of God is possible only through conscience and faith.

In the Shraddha Sukta it is exhorted, ‘O faithful, make us believers in the means of attaining your ist.’ In order to protect the principles and moral values,

Thousands and thousands of people are ready to sacrifice their lives because of their devotion to religion and duty. If there is reverence for the nation, it becomes revered like ‘mother land’ and if there is no reverence, it is just a piece of land.

The mother of Sri Aurobindo Ashram says, ‘The faith that comes from the soul is always true, but if there is deceit in your outer being and if you are trying to achieve personal accomplishments in exchange for spiritual life, then this thing misleads you. can do.

In fact, when faith starts getting attracted to whomever it may be, by becoming irrational, it becomes a cause of downfall by becoming ‘blind faith’. Only the one who lives a life of virtue himself and stays away from deceit and deceit, is eligible to take the real benefit of faith.

Check Also

malik-naukar

जीवन को खुशी से भरने की कहानी

रामशरण ने कहा-" सर! जब मैं गांव से यहां नौकरी करने शहर आया तो पिताजी ने कहा कि बेटा भगवान जिस हाल में रखे उसमें खुश रहना। तुम्हें तुम्हारे कर्म अनुरूप ही मिलता रहेगा। उस पर भरोसा रखना। इसलिए सर जो मिलता है मैं उसी में खुश रहता हूं