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संघर्ष का फल !!

लंदन में एक लड़का रहता था। वह बहुत गरीब था। इसलिए पेट पालने के लिए उसे निरन्तर काम करना पड़ता था। उसे पढ़ने लिखने का बहुत शौक था। लेकिन काम के बोझ के कारण वह लगातार स्कूल नहीं जा पाता था।

जिसके कारण उसकी पढ़ाई रुक रुक के चलती थी। लंदन के एक निम्न बस्ती में एक छोटे से कमरे में वह दो अन्य लड़कों के साथ रहता था। वे दोनों लड़के भी उसी की तरह दिन भर काम करते थे।

जब काम से फुर्सत मिलती वे दोनों लड़के मनोरंजन में जुट जाते। जबकि यह पुस्तकें निकालकर पढ़ना शुरू कर देता। यद्यपि लगातार पढ़ाई न कर पाने के कारण उसे पढ़ने लिखने में दिक्कत होती। लेकिन वह बिना हार माने लगातार प्रयास में लगा रहता।

उसके साथी लड़के उसे चिढ़ाते कि काम से फुरसत के बाद सब मनोरंजन करते हैं। लेकिन ये पढ़ाकू महोदय किताबों से खेलते हैं। लगता है कि ये किताबों से ही इतिहास रचेंगे। उनकी बातें सुनकर वह मुस्कुरा देता।

धीरे लगातार संघर्ष और प्रयास से वह अच्छा लिखने लगा। उसने कहानियां लिखनी शुरू कीं। सर्वप्रथम वह अपने उन्हीं मित्रों को अपनी कहानियां पढ़कर सुनाता। कभी कभी वे प्रसंशा करते किन्तु अधिकांशतः वे उसकी कहानियों का मजाक उड़ाते।

लेकिन लड़के पर कोई फर्क नहीं पड़ता। धीरे धीरे उसने कहानियां समाचारपत्रों में छपने के लिए भेजनी शुरू कर दीं। वह कहानियां भेजता रहा और समाचारपत्र उसकी कहानियों को रिजेक्ट करते रहे। लेकिन उसने हार नहीं मानी।

आखिरकार एक दिन उसकी एक कहानी एकप्रतिष्ठित समाचारपत्र में छपी। इससे उस लड़के का आत्मविश्वास और दृढ़ हो गया। वह लगातार लिखता रहा और बहुत बड़ा उपन्यासकार बना।

आज लंदन ही नहीं अपितु पूरा विश्व उस संघर्षशील लड़के को चार्ल्स डिकेन्स के नाम से जानता है।

सीख- Moral Of Story

संघर्षशील और परिश्रमी व्यक्ति के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है।

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