एक दिन नवंबर की ठंडी शाम में, एक युवा सैनिक, घोड़े पर सवार होकर जा रहा था। बरसात हो रही थी और मौसम बहुत ठंडा था। तभी, उस सैनिक ने देखा, एक बूढ़ा आदमी फटे कपड़ों में सड़क के किनारे बैठा हुआ था।
उसने अपनी बरसाती के दो हिस्से किए और एक हिस्सा उस बूढ़े को देकर वह आगे बढ़ा। रास्ते में, उसे फिर से एक ऐसा आदमी मिला, जिसके पास कपड़े नहीं थे। उसने बाकी बची आधी बरसाती उसे दे दी।
अब उसके पास भी खुद को ढकने के लिए कुछ नहीं था। आगे उसे कई गरीब लोग मिले। लेकिन अब वह उनके लिए प्रार्थना के सिवा कुछ नहीं कर सकता था। उसने सच्चे मन से भगवान से सभी गरीब लोगों के लिए प्रार्थना की।
अचानक, बारिश बंद हो गई और सूरज ऐसे चमकने लगा जैसे गर्मी का मौसम हो। उसके दया-भाव के लिए लोगों ने उसे बहुत आशीर्वाद दिया। बाद में वे उसे संत बुलाने लगे।