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लंदन तक तखत हिला

“मैंने ब्रिटिश राज में अपने लोगों को मरते-कटते देखा है। मुझे इस मृत्यु से डर नहीं लग रहा। मैं अपनी जन्मभूमि के स्वाभिमान की रक्षा के लिए मर रहा हूँ, इससे बड़ा सम्मान मेरे लिए क्या हो सकता है” –

क्रान्तिकारी ऊधम सिंह ने अदालत में कहा और उन्हें सज़ा-ए-मौत सुनाई गई। 1940 में आज के ही दिन उन्हें मृत्युदंड दे दिया गया। जलियांवाला हत्याकाण्ड के दर्द को 21 सालों तक अपने हृदय में लावा की तरह दहकाने के बाद अंग्रेज लेफ्टिनेंट गवर्नर (पंजाब) ओ ड्वायर को लंदन जा कर मारने का साहस करने वाले अमर शहीद ऊधम सिंह की पुण्यतिथि पर उन्हें प्रणाम।”मैंने ब्रिटिश राज में अपने लोगों को मरते-कटते देखा है। मुझे इस मृत्यु से डर नहीं लग रहा। मैं अपनी जन्मभूमि के स्वाभिमान की रक्षा के लिए मर रहा हूँ, इससे बड़ा सम्मान मेरे लिए क्या हो सकता है” –

क्रान्तिकारी ऊधम सिंह ने अदालत में कहा और उन्हें सज़ा-ए-मौत सुनाई गई। 1940 में आज ही के दिन उन्हें मृत्युदंड दे दिया गया। जलियांवाला हत्याकाण्ड के दर्द को 21 सालों तक अपने हृदय में लावा की तरह दहकाने के बाद अंग्रेज लेफ्टिनेंट गवर्नर (पंजाब) ओ ड्वायर को लंदन जा कर मारने का साहस करने वाले अमर शहीद ऊधम सिंह की जयंती पर उन्हें प्रणाम |

शहीद उधम सिंह की हत्या भारत में कब लाई गई?

  • 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को ‘रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी’ की लंदन के ‘कॉक्सटन हॉल’ में बैठक थी, जहां माइकल ओ’डायर भी वक्ताओं में से एक था। – ऊधम सिंह ने अपनी रिवाल्वर एक मोटी सी किताब में छिपा ली। बैठक के बाद ऊधम ने माइकल ओ’डायर पर गोलियां चला दीं। उसकी मौत हो गई।

उधम सिंह क्यों प्रसिद्ध है?
वे वर्ष 1899 में पंजाब के संगरूर ज़िले के सुनाम में पैदा हुए, उन्हें ‘शहीद-ए-आजम’ सरदार उधम सिंह भी कहा जाता है जिसका अर्थ है ‘महान शहीद’। इन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है।

भगत सिंह और उधम सिंह के दोस्त थे?
सरदार उधम सिंह के सबसे महान सहयोगियों में से एक शहीद भगत सिंह थे । उधम सिंह की मुलाकात भगत सिंह से जेल में हुई। उधम ने भगत को अपना ‘गुरु’ कहकर संबोधित किया। उधम पर भगत सिंह का प्रभाव और प्रभाव शक्तिशाली और चिरस्थायी दोनों था।6

उधम सिंह को फांसी क्यों दी गई थी?
सरदार उधम सिंह को 31 जुलाई 1940 को फांसी दे दी गई थी। उन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार (Jallianwala Bagh massacre) का बदला लेते हुए 1931 में पंजाब के गवर्नर जनरल रही चुके अंग्रेज अफसर माइकल ओ डायर को गोली मारी थी। जिसके बाद आज ही के दिन उन्हें फांसी दी गई थी।

उधम सिंह के अंतिम शब्द क्या थे?
मैं तुम्हें सज़ा सुनाने जा रहा हूँ ।” जैसे ही मौत की सजा की घोषणा की गई, उधम सिंह ने हवा में अपनी मुट्ठी भींच ली और चिल्लाया, “इंकलाब, इंकलाब, इंकलाब… ब्रिटिश साम्राज्यवाद मुर्दाबाद”। इसके तुरंत बाद, उन्हें हथकड़ी लगाकर उत्तरी लंदन की पेंटोविल जेल ले जाया गया, जहां 31 जुलाई, 1940 को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया।

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