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बहुमूल्य औषधि सौंफ

सौंफ एक हर्बल पौधा है जिसका वैज्ञानिक नाम Foeniculum vulgare है। यह धनिया, जीरा, और अजवाइन जैसे पौधों के परिवार Apiaceae से संबंधित है। सौंफ के बीज और पत्तियाँ खाने में उपयोग होते हैं और इसका स्वाद मीठा और थोड़ा सा लाइसोरिस (licorice) जैसा होता है।

सौंफ का उपयोग विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में मसाले के रूप में किया जाता है, जैसे कि मिठाइयाँ, बेकरी उत्पाद, और मीट डिशेज। इसके अलावा, यह चाय के रूप में भी पी जाती है, जिसे माना जाता है कि पाचन में सहायता करती है, गैस की समस्या को कम करती है, और शांति प्रदान करती है।

सौंफ का उपयोग आयुर्वेदिक और पारंपरिक चिकित्सा में भी किया जाता है, जहाँ इसे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उपचार के रूप में माना जाता है, जैसे कि दृष्टि में सुधार, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना, और अन्य विभिन्न लाभ प्रदान करना।

सौंफ के तेल का उपयोग भी अरोमाथेरेपी में किया जाता है, जो कि तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।

भोजन या स्वल्पाहार करना तो हम भारतीयों के जीवन मे आम बात है, लेकिन आप ये नहिंजन्ते होंगे कि यह वैज्ञानिक तौर पर भी सटीक आदत या रिवाज है। क्यो? बताता हूँ.

स्वघोषित राष्ट्रीय नाश्ता पोहा बनाना हो, या फिर ऐसे ही कोई चटपटा व्यंजन जैसे पकोड़ा, बड़ा, समोसा, खस्ता आदि आदि…। सौंफ कहीं न कही अपना स्थान ढूंढ ही लेता है। सौंफ एक बहुत सुगन्धित मसाला है और इसमें उड़नशील तेल पाया जाता है जो इसके औषधीय गुणों के लिए उत्तरदायी है। यह भोजन में एक विशिष्ट सुगंध लाता है जिस के कारण इसका अक्सर भारतीय खाना पकाने में इस्तेमाल किया जाता है। यह माउथ फ्रेशनर से लेकर मसाले तक खूब फेमस है। लेकिन औषधीय गुणों के कारण कई रोगों के उपचार की भी बहुमूल्य दवा है। भारतीय जीवन शैली में दूध पीना एक आम बात है। रोजाना दूध में इसे डालकर पीने से कब्ज खत्म, पेट की चर्बी, गैस आदि में आराम मिलता है साथ ही आँखों की रोशनी के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है। सौंफ वाला दूध बनाने के लिए एक गिलास दूध में आधा चम्मच सौंफ मिलाकर दूध को उबाल लें फिर इसे छन्नी से छानकर पिएं। इससे सौंफ का रस दूध में आ जाएगा।

वैसे एक रहस्य की बात बताऊँ कि पुराने समय मे दूध से दही बनाने के लिए या तो इसे विशेष मिट्टी के बर्तन में रखा जाता था, या फिर खास लकड़ियों से बने बर्तन में। कुल मिलाकर विज्ञान यह था कि इन सभी में लैक्टोबैसिलस नामक बैक्टीरिया रहते थे जो दूध को दही में बदल देने की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होते हैं। अपनी सौंफ भी प्राकृतिक रूप से यही कार्य करती है। मान लिजिये कि आपके पास न तो विशेष मिट्टी का पात्र है और न ही विशेष लकड़ी का ज्ञान है तो फिर ऐसे में यह ताजी सौंफ ही आपके काम आएगी क्योंकि इसमें प्राकृतिक रूप से लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया/ लैक्टोबैसिलस पाये जाते हैं। एक बर्तन में दूध डालकर ताजी सौंफ डालकर रख दें, सुबह दही तैयार मिलेगा। इसीलिये सामान्य दूध की तुलना में सौंफ वाला दूध अधिक पाचक होता है। सौंफ के वैसे तो अनेक उपयोग है जिनमे से सबसे अधिक प्रचलित मुखवास याने माउथ फ्रेशनर वाला ही है। माउथ फ्रेशनर के तौर पर भोजन के बाद जब सौंफ चबाई जाती है तो यह आपकी लार ग्रंथियों को तीव्रता से उत्तेजित करने का कार्य करती है और पल भर में ही ढेर सारी लार बनती है जो पेट मे जाकर भोजन को पचाने में मदद करती है। अब लार में पाचक रस नही होते ऐसा मत बोल दीजियेगा।

आशा है सौंफ का यह देशी ज्ञान आपके काम आयेगा। तो ध्यान रखिएगा। भोजन के बाद थोड़ी सौंफ जरूर चबाइयेगा।

सौंफ खाने से कौन सी बीमारी दूर होती है?
सौंफ में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं. यह पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करता है. इसके तेल का इस्तेमाल स्किन और हेयर केयर में होता है. सौंफ कैंसर, मधुमेह और हृदय रोगों से लड़ने में मददगार होता है.

क्या बवासीर में सौंफ खा सकते हैं?
बवासीर में मददगार :ऐसे में अजवाइन और सौंफ दोनों का सेवन मल त्याग को आसान बनाने और हाइड्रेशन बहाल करने में मदद करता है। इसके अलावा ये फाइबर से भरपूर है जो कि मल में थोक जोड़ता है और मल को मलाशय से बाहर निकलने में आसान बनाता है। इस प्रकार से ये बवासीर में जलन और दर्द को कम करता है।

वजन घटाने के लिए सौंफ कैसे खाएं?
एक मुट्ठी सौंफ के बीज लें और उन्हें पानी से भरे गिलास में भिगो दें। इसे रात भर लगा रहने दें और सुबह पी लें । यह शरीर में विटामिन और खनिजों के अवशोषण को बढ़ाता है और इस तरह वजन कम करने में मदद करता है।
एक चम्मच सौंफ के बीज लें और उन्हें गर्म पानी में डालें । सुनिश्चित करें कि आप उन्हें उबालें नहीं क्योंकि उबालने से इसके अधिकांश पोषक तत्व नष्ट हो सकते हैं। इसे ढककर लगभग 10 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर इसे दिन में तीन बार पियें। सौंफ के बीजों के गुणों का आनंद लें और स्वस्थ तरीके से वजन कम करें।

सौंफ शरीर में किसके लिए अच्छी होती है?
सौंफ के पौधे के स्वादिष्ट, कुरकुरे बल्ब और सुगंधित बीज दोनों ही अत्यधिक पौष्टिक होते हैं और प्रचुर मात्रा में प्रभावशाली स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं। इन्हें अपने आहार में शामिल करने से हृदय स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, सूजन कम हो सकती है, भूख कम हो सकती है और यहां तक कि कैंसर विरोधी प्रभाव भी मिल सकते हैं ।

फैटी लीवर में सौंफ खाने से क्या होता है?
सौंफ (फेनल सीड) के तेल का मौखिक सेवन भी लिवर को होने वाले नुकसान से जुड़े एंजाइमों के लेवल को कम कर सकता है। इस प्रकार, सौंफ (फेनल सीड) वास्तव में लिवर के लिए अच्छी होती है।

सुबह खाली पेट सौंफ खाने से क्या होता है?
अगर आप रोजाना खाली पेट सौंफ का पानी पीते हैं तो यह पाचन तंत्र तो मजबूत करता है. इससे कब्ज और एसिडिटी की शिकायत खत्म हो जाती है. सौंफ का पानी पीने से पेट को फायदा होता है इससे आसानी से वजन कम हो जाता है. सौफ का पानी पीना आंख के लिए फायदेमंद होता है.

क्या सौंफ लिवर को साफ करती है?
इसमें कुछ ऐसे यौगिक होते हैं जो लीवर को नुकसान से बचाने और उसे सहारा देने में मदद कर सकते हैं । ये यौगिक लीवर में विषहरण प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने का काम करते हैं, जो लीवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए फायदेमंद है।

सौंफ का पानी कितने दिन तक पीना चाहिए?
हमें सौंफ का पानी कितने दिन पीना चाहिए? अगर आपको पाचन संबंधी समस्या है तो आपको रोजाना सौफ का पानी पीना चाहिए।

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