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सेक्स और रिलेशनशिप

सेक्स और रिलेशनशिप के विषय में आज की पीढ़ी से संवाद करना समुद्र मंथन करने जैसा है। “प्री वेडिंग शूट” का ट्रेंड यानी रिवाज आज से लगभग सात आठ साल पहले शुरू हुआ था।

कांसेप्ट यह था की होने वाले वर वधु सगाई के बाद और शादी से पहले के समय में किसी सुनसान लोकेशन पर जाते हैं। उनके साथ कैमरा मैन होते हैं जो उस लोकेशन पर विभिन्न मुद्राओं में उनकी तस्वीरें खिंचते हैं और वीडियो शूट कर के उनके बीच फूट रहे प्रेम को प्रदर्शित करते हैं।

यह ट्रेंड यानी रिवाज़ तब तक सबको बहुत सुहा रहा था जब तक फोटो या वीडियो साधारण हुआ करते थे।साधारण यानी लड़का लड़की हाथों में हाथ डाले नदिया किनारे टहलते दिखाई देते थे। एक दूजे की आंखों में आखें डाल कर मुस्कुराते दिखाई देते थे। फिर इस साधारण से ट्रेंड को कुछ जोड़ों ने असाधारण बनाने की ठान ली।

प्री वेडिंग शूट में एक दूजे से लिपटना ….एक दूजे को चूम लेना आदि इत्यादि होने लगा। कुल मिला कर प्री वेडिंग शूट को ……..”सेक्सी” बनाने का ट्रेंड चलने लगा। हालांकि एक दूजे को गले लगाना या चूमने से किसी को क्या आपत्ति हो सकती है। लेकिन आपत्ति तब होती है जब एक दूजे पर प्रेम वर्षा कर रहे जोड़ों का यह वीडियो शादी के समय मेहमानों के आगे बड़ी स्क्रीन पर चलाया जाता है।

गत वर्ष हमारे एक युवा मित्र की सगाई हुई थी। इस वर्ष शादी से पहले कन्या (उनकी होने वाली पत्नी) ने आधी रात बंधु को फोन कर के कहा के ऊन्ने “प्री वेडिंग शूट” की लोकेशन और शूट करने वाले कैमरा टीम फाइनल कर ली है।

शूटिंग राजस्थान के एक किले में की जायेगी। यह सुन के बंधु बिगड़ गया। ऊन्ने कहा मैडम मुझसे यो प्री वेडिंग शूट वाला चोंचला ना हो पायेगा। बंधु के मना करने पर दोनों में आधी रात लट्ठ बज गया। मने भयंकर लट्ठ बज गया।

क्या है ना …..आदमी औरत को लड़ने के लिये सारी उम्र मिलती है। परंतु सगाई और शादी के बीच के समय लट्ठ बज जाना …..अच्छी बात नहीं है।

खैर …..मैं अगले दिन बंधु से मिला। इस विषय पर थोड़ी बहुत बात हुई। मैंने भी उसे कहा के भाई ….होने वाली लुगाई है। जिद ना कर । एक आध दिन घूम फिर आ। फोटू खिंचवा ले….वीडियो बनवा ले। कन्या भी खुश ….तू भी खुश….. सब खुश…..दिक्कत क्या है?

लडके ने जो जवाब दिया…… कसम से मेरी बोलती बंद हो गई। बोला…… “भाईसाहब *** और मैं एक दूसरे को हग करते हैं या किस करते हैं या फिर एक दूसरे के साथ किसी लोकेशन पर कुछ टाईम बिताते हैं…..ठीक है। कोई दिक्कत ना है।

लेकिन हम दोनों के बीच जो हो रहा है …..वह पर्सनल है। मेरे और मेरी होने वाली पत्नी के बीच जो हो रहा है …..वह पर्सनल है। जो पर्सनल है उसे कैमरामैन शूट करेगा और शादी के दिन सारी दुनिया देखेगी?

भाई। लडके का जवाब और तमतमाया हुआ चेहरा देख अपनी तो बोलती बंद हो गई। बंधु ने कहा….. ” मैं *** को बाहों में लेता हूं और उसे बाहों में लेते हुऐ मुझे कैमरा मैन देख रहा है……? यही सब करना है तो सीधा बेडरूम में सीसीटीवी कैमरा लगवा दो ना?”

मैं तो उसी दिन समझ गया था के लडके की अपनी प्राथमिकता हैं और यो ना झुकेगा। कन्या ( जो अब हमारी परम आदरणीय भाभी जी हैं) ……ने पूरा जोर लगा लिया। बातचीत बंद हो गई। तलवारें खींच गई। मान मुन्नव्वल हेतु वर और वधू पक्ष तो मध्यस्थता करनी पड़ी। लेकिन भाई ना माना। सांड के माफिक बीच सड़क खड़ा हो गया। बोला नहीं होगा तो…… नहीं होगा……।

खैर …….ब्याह हुआ…..पूरे धूमधाम से हुआ। ब्याह में खूब फोटो खींची गई। लेकिन प्री वेडिंग शूट के नाम पर चल रहे ट्रेंड को भाई ने अपने ब्याह से ऐसे फेंक दिया जैसे कोई दूध में से मक्खी निकाल कर फेंक देता है।

कुल मिला कर बंधु की बात काबिले गौर थी। कुछ बातें कुछ लम्हें …….कुछ तस्वीरें ……पर्सनल होती हैं। व्यक्तिगत जीवन का एक अटूट हिस्सा होती हैं। इस दौर में सबकी अपनी पसंद ……नापसंद है। सार्वजनिक कार्यक्रम में व्यक्तिगत तस्वीरों का प्रदर्शन कहां तक सही है इस विषय पर विचार होना चाहिये।

प्यार के लिए उम्र नहीं, बस समझ और धैर्य की जरूरत होती है….

मैं प्रिया, 19 साल की एक साधारण लड़की हूँ। मेरे लिए ये सब बातें किताबों में पढ़ी थीं या दोस्तों की गपशप में सुनी थीं। पर मेरी शादी के बाद ये सब असलियत बन गया। मेरी शादी अरविंद से हुई—31 साल के एक सफल बिजनेसमैन। उम्र का ये फासला मेरे लिए शुरू में अजीब था।

शादी की पहली रात मेरी धड़कनें तेज़ थीं। मैं जानती थी कि अरविंद मुझसे उम्र में बड़ा है, पर उसने मेरे डर को समझा। उस रात उसने न मुझे छूने की कोशिश की और न ही कोई दबाव डाला। बस मेरे हाथ को थामकर कहा, “तुम्हें जितना समय चाहिए, मैं दूंगा।” उसकी ये बात मेरे दिल को छू गई।

लेकिन शादी केवल पहली रात तक सीमित नहीं होती। असली परीक्षा तो उसके बाद शुरू होती है।

शुरुआती दिक्कतें -अरविंद के साथ तालमेल बैठाना मेरे लिए आसान नहीं था। उसकी जिंदगी पूरी तरह अनुशासित थी—सुबह जल्दी उठना, काम पर जाना, समय पर खाना, फिर वापस काम में डूब जाना। और मैं? मैं तो अभी कॉलेज की लड़की थी जिसे देर तक सोना और दोस्तों के साथ मस्ती करना पसंद था।

कई बार मुझे गुस्सा आता। मैं चिढ़कर कहती, “आपको बस काम से प्यार है। मेरे लिए कभी समय नहीं होता!”

अरविंद मुस्कुराता और प्यार से कहता, “प्यार का मतलब सिर्फ बातें करना नहीं होता, प्रिया।”

अरविंद की समझदारी

अरविंद ने कभी मुझसे झगड़ा नहीं किया। बल्कि उसने धीरे-धीरे हमारी जिंदगी में बदलाव लाना शुरू किया। वह वीकेंड पर मेरे लिए समय निकालने लगा। कभी लॉन्ग ड्राइव पर ले जाता, तो कभी मेरी पसंदीदा पिज्जा पार्टी प्लान करता।

धीरे-धीरे मैंने भी उसकी ज़िम्मेदारियों को समझना शुरू किया। मैंने उसके काम में दिलचस्पी लेनी शुरू की। कभी उसके प्रोजेक्ट्स के बारे में पूछती, तो कभी उसकी टेंशन दूर करने के लिए चाय बना देती।

एक दिन अरविंद ने मेरी ओर देखते हुए कहा, “तुमने मुझे बदल दिया, प्रिया। अब मैं काम के साथ जीने का भी मज़ा ले रहा हूँ।”

मैं मुस्कराई और कहा, “और आपने मुझे समझाया कि प्यार सिर्फ रोमांस नहीं, समझदारी भी है।”

आज हमारी जिंदगी में तालमेल है, प्यार है, दोस्ती है। शायद उम्र का फासला पहले बड़ी बात लगती थी, लेकिन अब नहीं। अरविंद की सूझ-बूझ और मेरा विश्वास हमारे रिश्ते की ताकत बन गए हैं।

तो ये थी हमारी कहानी। ।

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