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शरण में तुम्हारी हम आये मुरारी

शरण में तुम्हारी हम आये मुरारी,
प्रभु दिन दुखियो के रकच्छक तुम्ही हो,
दया हमपे करदो मैं हु भिखारी,

पंछी को डाल से कुछभी प्यारा नही,
पिंजड़ा सोने का हो फिर भी गवारा नही,
वही हाल मेरा चरण राज हु तेरा,
चरण में ही रखलो है बिनती हमारी,

कितनी आंधी चली कितने तूफा सहे,
पर किसी से कभी  कुछ ना मन की कहे,
सिवा तेरे दुनिया मे है कौन मेरा,
जो हरलेता थोड़ी सी बिपदा हमारी,

नाथ मुझको अगर आप ठुकरायेंगे,
हम अकेला कहा कैसे रह पाएंगे,
भुला करके तुझको जिये कैसे प्यासा,
है भगवान मेरा तू। मैं हु पुजारी,
सरन में तुम्हारी। हम आये मुरारी………………..

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