’मेरे पुत्र को शिक्षा ग्रहण करनी है, मैं जानता हूँ, प्रत्येक व्यक्ति सही नागरिक नहीं होता और न ही सब छोटे से बङे होकर सत्य के पुजारी होते हैं, किन्तु कृपया मेरे बच्चे को ऐसी शिक्षा दीजिएगा, कि वह प्रत्येक दुष्ट व्यक्ति के लिए एक आदर्श नायक और प्रत्येक स्वार्थी राजनीतिज्ञ के लिए एक निष्ठावान संघर्षवादी नायक बने। मेरे बच्चे को यह भी बतलाइएगा कि जहाँ शत्रु होते हैं, वहाँ मित्र भी है।
मैं जानता हूँ कि उसे इस तरह की शिक्षा प्राप्त करने में समय लगेगा। मेहनत से कमाया हुआ एक डालर पाँच पौंड से अधिक होता है। उसे जीवन में हारने और जीतने के गौरव को सहर्ष स्वीकार करने की भी शिक्षा दीजिएगा।
उसे ईष्र्या से दूर रखने का प्रयास कीजिएगा। कृपया उसे मौन होकर हँसने के रहस्य को सीखाइएगा……… उसे किताबों के आश्चर्यमय जगत से परिचित कराइएगा और पहाङों पर खिले हुए फूल के चिरन्तन रहस्य को भी बतलाइएगा। उसे यह सिखाइएगा कि नकल करने से सम्मानपूर्वक असफल होना अधिक गरिमामय है। उसे बतलाइएगा कि असफलता के कारण जो आँसू टपके उसमें कोई लज्जा नहीं है…… उसे यह भी बतलाइएगा कि चाहे दुनियाँ उसे गलत समझे, फिर भी अपने ऊपर भरोसा रखे। उसे भद्र लोगों के साथ भद्रता और दुष्टों के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए।
मेरे पुत्र को बराबर बताते रहिएगा कि वह भीङ का एक आदमी न बनें। उसे बतलाइएगा कि वह सबकी तो सुने लेकिन सत्य की चलनी से छानकर उसे सुने और देखें और फिर ऐसे सत्य में जो भलाई हो, उसे ग्रहण करे।
यदि आपके लिए सम्भव हो तो उसे दुःख के समय हँसना और सुख-दुःख बोध से ऊपर उठने की सीख दीजिएगा। कृपया उसे अधिक मधुरता से बचने को कहिएगा। उसे यह भी बताइएगा कि अपनी बुद्धि एवं अपना पसीना बेचते समय सबसे अधिक कीमत लगाने वाले को ही बेचे, किन्तु अपने हृदय और आत्मा के मूल्य को भी समझे।
लोहा आग में जलाने से मजबूत होता है, इसलिए उसे स्नेह का ताप दीजिए, केवल लाङ नहीं। उसे धैर्यवान होने का साहस दीजिए और शौर्य के लिए धैर्य की शिक्षा दीजिए। उसे अपने कृत्यों में गरिमामय आस्था बोध का पाठ पढ़ाइएगा, तभी वह मानवता की गरिमा में विश्वास करेगा।