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श्याम आँचल मेरा


श्याम आँचल में छोड़ दो इस घड़ी
पाँव यमुना में मेरी फिसल जायेगी
हर घड़ी की तेरी छेड़ अच्छी नही
देख लेगा कोई भेद खुल जाएगा
श्याम आँचल मेरा

सारी सखियों की प्याल की झंकार में
गूंजे उठे तान मुरली की संसार में
अब न मुरली भ्जाना मेरे सामने
मेरा भी दिल वो बेहल जाएगा
श्याम आँचल मेरा

तूने बंसी बजा कर रिजाया मुझे जाल में तूने अपने फसाया मुझे ,
एह कन्हिया सीतम आ गया किरपा तो करो
तेरे चरणों तले दम निकल जाएगा
श्याम आँचल मेरा

मैं हु जोगन तेरी तू मेरा प्राण हो
आ सफ़र में रहू मैं तेरी हर घड़ी
तू मगन हो के मुरली में सुर फुके जो
कुछ तो संसार का दिल बेहल जाएगा
श्याम आँचल मेरा………

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