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श्यामा के रंग हजारों हैं

श्यामा के रंग हजारों हैं, इनके रंगों का क्या कहना….
कोई काला कहे, कोई गोरा कहे,
कोई कहे नटखट, कोई कहे ग्वाला,
इनके नामों का क्या कहना, इनके कामों का क्या कहना,
श्यामा के रंग हजारों हैं……

इन्द्र कोप ढहाते है, पर्वत अंगुली पर उठाते हैं,
पर्वत का उठाना क्या कहना, भक्तों को बचाना क्या कहना,
श्यामा के रंग हजारों हैं…..

धरती पर जब जब आते, ये नई नई महिमा रचाते हैं,
हर युग में आना क्या कहना, महिमा का रचाना क्या कहना,
श्यामा के रंग हजारों हैं…..

जब जब कंस ने जुल्म किया, तब तब नटवर ने रुप धरा,
जुल्मों से बचाना क्या कहना, नटवर के रुप का क्या कहना,
श्यामा के रंग हजारों हैं…..

बनवारी अब तो आ जाओ और दिल में हमारे बस जाओ,
बनवारी का आना क्या कहना, दिल में समाना क्या कहना,
श्यामा के रंग हजारों हैं…..

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