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आपका स्वास्थ्य और सिंघाड़ा

सर्दियों में हरी सब्जियों के साथ सिंघाड़ा भी आ चुका है। यह केवल स्वाद ही नहीं बल्कि सेहत और स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है।आयुर्वेद के अनुसार सिंघाड़े में भैंस के दूध की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक खनिज लवण और क्षार तत्व पाए जाते हैं। यह ताकतवर और पौष्टिक तत्वों का खजाना है। इसमें तमामऔषधीय गुण पाये जाते है।

सिंघाड़े को फलाहार में भी शामिल किया जाता है। इसको सुखाकर और पीसकर बनाए गए आटे का सेवन उपवास में किया जाता है। असल में एक फल होने के कारण इसे अनाज न मान कर फलाहार का दर्जा दिया गया है। यूं तो सिंघाड़े को कच्चा ही खाया जाता है, लेकिन कुछ लोग इसे हल्का उबालकर नमक के साथ खाते हैं। सिंघाड़े से साग-सब्जी और बर्फी, हलवा जैसे मिष्ठान भी बनते हैं, जो अनोखा स्वाद लिए होते हैं।

सिंघाड़े में प्रोटीन,विटामिन-ए,बी,सी, मैंगनीज, थायमाइन, कर्बोहाईड्रेट, टैनिन, सिट्रिक एसिड,आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस जैसे मिनरल्स, रायबोफ्लेबिन, एमिलोज, फास्फोराइलेज, एमिलोपैक्तीं, बीटा-एमिलेज, प्रोटीन, फैट और निकोटेनिक एसिड जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं,

सिंघाड़े में कार्बोहाइड्रेट काफी मात्र में होता है। 100 ग्राम सिंघाडे में 115 कैलोरी होती हैं, जो कम भूख में पर्याप्त भोजन का काम करता है।

सिंघाड़ा शरीर के लिए मैंगनीज का अवशोषक करने में सक्षम होता है जिससे शरीर को मैंगनीज का भरपूर लाभ मिलता है। यह पाचन तंत्र के लिए बढ़ि‍या है साथ ही बुढ़ापे में होने वाली कई बीमारियों से भी बचाता है।

बुजुर्गों व गर्भवती महिलाओं व शिशु के लिए सिंघाड़े का सेवन करना बहुत लाभकारी है। गर्भाशय की दुर्बलता व पित्त की अधिकता से गर्भावस्था पूरी होने से पहले ही जिन स्त्रियों का गर्भपात हो जाता है, उन्हें सिंघाड़ा खाने से गर्भपात का खतरा भी कम होता है।इसके सेवन से भ्रूण को पोषण मिलता है और वह स्थिर रहता है। सात महीने की गर्भवती महिला को दूध के साथ या सिंघाड़े के आटे का हलवा खाने से लाभ मिलता है। सिंघाड़े के उपयुक्त मात्र में सेवन से गर्भस्थ शिशु स्वस्थ व सुंदर होता है। इसके अलावा सिंघाड़ा खाने से मासिक धर्म संबंधी समस्याएं भी ठीक होती हैं।

सिंघाड़ा थायरॉयड और घेंघा रोग में लाभदायक है ।सिंघाड़े में मौजूद आयोडीन, मैग्नीज जैसे मिनरल्स गले संबंधी रोगों से रक्षा करता है और थाइरॉइड ग्रंथि‍ को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। जो थायरॉइड और घेंघा रोग की रोकथाम में अहम भूमिका निभाते हैं।

सिंघाड़े में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्व गले की खराश और कफ कम करने में भी प्रभावी रूप से फायदेमंद होते हैं। खांसी के लिए यह टॉनिक का काम करता है। गले में होने वाले टॉन्सिल के इलाज में भी लाभदायक है। सिंघाड़े को पानी में उबाल कर कुल्ला करने से भी आराम मिलता है। ताजा कच्चा फल या सुखाकर चूर्ण बना कर खाना फायदेमंद है।

पीलिया के मरीजों के लिए सिंघाड़ा लाभदायक होता है। पीलिया में सिंघाड़ा खाना और इसका जूस पीना काफी लाभ देता है और पीलिया ठीक करने में मदद करता है।

सिंघाड़ा यौन दुर्बलता को भी दूर करता है। दो या तीन चम्मच सिंघाड़े का आटा गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से वीर्य में बढ़ोतरी होती है। सिंघाड़े में मौजूद निमैनिक और लॉरिक जैसे एसिड बालों को स्वस्थ्य बनाते है एवं बालों का झड़ना रुक जाता है।

अस्थमा के मरीजों के लिए भी सिंघाड़ा बहुत फायदेमंद होता है। सिंघाड़े का उचित प्रयोग करने से अस्थमा की समस्या कम होती है और सांस संबधी अन्य समस्याओं में भी आराम मिलता है।

सिंघाड़े का सेवन रक्त संबंधी समस्याओं को भी ठीक करता है, साथ ही मूत्र संबंधी रोगों के उपचार के लिए कुछ दिनों तक 10-20 ग्राम सिंघाड़े के रस का सेवन करने से आराम मिलता है। पेशाब में जलन, रुक-रुक कर पेशाब आना जैसी बीमारियों में भी सिंघाड़े का सेवन लाभदायक है।

एड़ियां फटने की समस्या शरीर में मैग्नीज की कमी के कारण होती है। सिंघाड़ा ऐसा फल है, जिसमें पोषक तत्वों से मैग्नीज ग्रहण करने की क्षमता होती है। सिंघाड़े के सेवन से शरीर में मैग्नीज की कमी नहीं हो पाती और शरीर हेल्दी बनता एवं फटी एड़ि‍यों में लाभ मिलता है।

सिंघाड़ा सूजन और दर्द में मरहम का काम करता है। शरीर के किसी भी अंग में सूजन होने पर सिंघाड़े के छिलके को पीस कर लगाने से आराम मिलता है। यह एंटीऑक्सीडेंट का भी अच्छा स्रोत है। यह त्वचा की झुर्रियां कम करने में मदद करता है। यह सूर्य की पराबैंगनी किरणों से त्वचा की रक्षा करता है। नींबू के रस में सूखे सिंघाड़े को पीसकर नियमित रूप से लगाने पर दाद-खुजली में आराम मिलता है।

इसमें कैल्शियम भी भरपूर पाया जाता है, इसलिए इसका सेवन करने से हड्ड‍ियां और दांत दोनों ही मजबूत होते हैं। यह शारीरिक कमजोरी को दूर करता है। आंखों के लिए भी सर्दी का यह फल बहुत लाभकारी है।

सावधानियां

जिस तरह सिंघाडा खाना लाभकारी हैं वैसे ही सिंघाड़े को अधिक मात्रा में सेवन करने से नुकसान भी हो सकते हैं।

एक स्वस्थ व्यक्ति को नियमित 10 से 15 ग्राम ही ताजे सिंघाड़े खाने चाहिए। पाचन प्रणाली के लिहाज से सिंघाड़ा भारी होता है, इसलिए अधिक मात्रा में सिंघाड़े का सेवन करने से पाचन तंत्र ख़राब होता है

सिंघाड़ा खाकर तुरंत पानी न पिएं। इससे पेट में दर्द एवं सर्दी खांसी की समस्या हो सकती है। कब्ज हो तो सिंघाड़े बिल्कुल न खाएं।

इसके अधिक मात्रा में सेवन से कफ, कब्ज, पेट दर्द, आँतों की सूजन जैसी समस्या हो सकती है।। पेट में भारीपन व गैस बनने की शिकायत भी हो सकती है।

रोगी और गर्भवती स्त्रियां वैद्य या डॉ की सलाह जरूर लें।

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