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तो क्या ऐसी होती है ‘विद्या की रेखा’

तो क्या ऐसी होती है 'विद्या की रेखा'
तो क्या ऐसी होती है ‘विद्या की रेखा’

बहुत पुरानी बात है। एक बार एक बालक को उसके पिताजी ने गुरुकुल में अध्ययन के लिए भेजा। उस बालक ने गुरुकुल में विद्या अध्ययन करने लगा। तभी एक दिन गुरुजी ने उस बच्चे को एक सबक याद करने के लिए दिया।

लेकिन वह बहुत कोशिश करने के बाद भी सबक याद न कर सका। तब गुरुजी को गुस्सा आ गया। और उन्होंने दंड देने के लिए डंडा उठाया। तब उस लड़के ने अपना हाथ आगे कर दिया।

गुरुजी ज्योतिष के जानकर थे। उन्होंने बच्चे का हाथ देखा तो उनका गुस्सा ठंडा हो गया और वह चले गए।

लेकिन एक दिन उस बालक ने गुरुजी से पूछा, ‘गुरुजी आपने उस दिन दंड देने वाले थे, लेकिन मेरा हाथ देखने के बाद दंड नहीं दिया।’ तब गुरुजी बोले, ‘बेटा तुम्हारी हाथ में विद्या की रेखा नहीं है। विद्या की रेखा न होने के कारण तुम सबक कभी भी याद नहीं कर सकते थे। हो सकता है तुम आगे भी विद्या ग्रहण न कर पाओ।’

यह सुनकर वह बालक बोला, ‘विद्या की रेखा नहीं हुई तो क्या हुआ। मैं अभी इसे बना देता हूं। और उस लड़के ने एक नुकीले पत्थर से हाथ पर विद्या की रेखा बना दी।’ यही बालक आगे चलकर संस्कृत के महान विद्वान पाणिनि के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

Hindi to English

It’s a very old matter. Once a boy sent his father to study in Gurukul. The boy started studying the science in Gurukul. Then one day Guruji gave the child a lesson to remember.

But he could not remember the lesson even after trying hard. Then Guruji got angry. And he picked up the rod to punish. Then the boy pushed forward his hand.

Guruji was aware of astrology. When he saw the child’s hand, his anger became cold and he left.

But one day the boy asked Guruji, ‘Guruji, you were going to punish that day, but after seeing my hand, I did not punish him.’ Then the teacher said, ‘Son, there is no line of education in your hands. Due to lack of education, you could never remember the lesson. Maybe you can not get any further education. ‘

When he heard this, the child said, ‘What happened if there is no line of instruction. I just make it. And that boy made a line of learning through a pointed stone. ‘ This boy, who later became famous as the great scholar of Sanskrit, Panini.

 

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