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सौंदर्य सरिता आम्रपाली की व्यथा

एक बार भगवान बुद्ध ने वैशाली की नगरवधु और सौंदर्य की देवी आम्रपाली का आतिथ्य स्वीकार किया। आम्रपाली पर उम्र गहराने लगी थी। चेहरे पर झाइयां और झुर्रियां पड़ने लगीं थीं। केश श्वेत हो चले थे।

आम्रपाली ने भगवान बुद्ध का विधिवत् स्वागत किया और शांत भाव से उनके चरणों में बैठ गई। भगवान बुद्ध ने आम्रपाली को शांत देखकर कहा, ‘कहो आम्रपाली किसलिए याद किया?’

आम्रपाली की आंखों में आंसू आ गए वह बोली, प्रभु मैं सौंदर्य की सरिता थी। अब तो धीरे-धीरे यह सरिता सूखती जा रही है। आयु की यह ढलान खलती है। बुद्ध ने आम्रपाली की शंका का निवारण करते हुए कहा, आयु का मोह एक प्रलोभन है, जो व्यक्ति को लक्ष्य से विमुख कर देता है। व्यक्ति को इससे मोह नहीं होना चाहिए।

In English

Once Lord Buddha accepted the hospitality of Godavadhu and beauty goddess Amrapali of Vaishali. The age was born on Amrapali. There were wings and wrinkles on the face. Hairstyles were turned white.

Amrapali welcomed Lord Buddha duly and sat quietly at his feet. Lord Buddha saw Amrapali calm and said, ‘Kaho Amrapali ki kisakya ki?’

He said, “Lord, I was the beauty of beauty. Now gradually this Sarita is drying up. This slope of age falls. Buddha, while redressing Amrapali’s doubts, said that the temptation of age is a temptation, which extinguishes the person from the goal. The person should not be tempted by this.

 

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