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आत्मा की यात्रा

गरुड़ पुराण में मरने के बाद के अनुभव का विवरण

गरूड़ पुराण जो मरने के पश्चात आत्मा के साथ होने वाले व्यवहार की व्याख्या करता है उसके अनुसार जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसे दो यमदूत लेने आते हैं. मानव अपने जीवन में जो कर्म करता है यमदूत उसे उसके अनुसार अपने साथ ले जाते हैं. अगर मरने वाला सज्जन है, पुण्यात्मा है तो उसके प्राण निकलने में कोई पीड़ा नहीं होती है लेकिन अगर वो दुराचारी या पापी हो तो उसे पीड़ा सहनी पड़ती है. गरूड़ पुराण में यह उल्लेख भी मिलता है

कि मृत्यु के बाद आत्मा को यमदूत केवल 24 घंटों के लिए ही ले जाते हैं और इन 24 घंटों के दौरान आत्मा दिखाया जाता है कि उसने कितने पाप और कितने पुण्य किए हैं. इसके बाद आत्मा को फिर उसी घर में छोड़ दिया जाता है जहां उसने शरीर का त्याग किया था. इसके बाद 13 दिन के उत्तर कार्यों तक वह वहीं रहता है. 13 दिन बाद वह फिर यमलोक की यात्रा करता है.
पुराणों के अनुसार जब भी कोई मनुष्य मरता है

और आत्मा शरीर को त्याग कर यात्रा प्रारंभ करती है तो इस दौरान उसे तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं. उस आत्मा को किस मार्ग पर चलाया जाएगा यह केवल उसके कर्मों पर निर्भर करता है. ये तीन मार्ग हैं अर्चि मार्ग, धूम मार्ग और उत्पत्ति-विनाश मार्ग. अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा के लिए होता है, वहीं धूममार्ग पितृलोक की यात्रा पर ले जाता है और उत्पत्ति-विनाश मार्ग नर्क की यात्रा के लिए है.

गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के 18 प्रमुख पुराणों में से एक है। यह पुराण भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के संवाद पर आधारित है। गरुड़ पुराण मुख्य रूप से दो खंडों में विभाजित है:

  1. आचार कांड: इसमें धर्म, नीति, योग, ध्यान, और जीवन के आदर्श नियमों का वर्णन किया गया है। इसमें जीवन जीने के सही तरीके, पुण्य कर्म, और भक्ति के महत्व को समझाया गया है।
  2. प्रेत कांड: इसमें मृत्यु के बाद की प्रक्रिया, आत्मा की यात्रा, और पितृ तर्पण (श्राद्ध कर्म) का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह खंड विशेष रूप से मृत्यु और उसके बाद के जीवन से संबंधित जानकारी देता है।

मुख्य विषय:

  • जीवन और मृत्यु का महत्व
  • मोक्ष प्राप्ति के मार्ग
  • पितरों के प्रति कर्तव्य
  • पुनर्जन्म और कर्म का सिद्धांत

गरुड़ पुराण का पाठ विशेष रूप से मृत्यु के समय और पितरों के लिए किए गए कर्मों में किया जाता है, क्योंकि इसमें आत्मा की मुक्ति और मृत्यु के बाद के संस्कारों का वर्णन है।

यदि आपको गरुड़ पुराण के किसी विशेष अध्याय या विषय के बारे में अधिक जानकारी चाहिए, तो बताएं!

गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद क्या होता है?

गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा मृत्यु के देवता यमराज के पास जाती है। यमराज ही व्यक्ति के कर्मों के आधार पर न्याय करते हैं। जीवन में किए गए बुरे कर्मों के लिए आत्मा को नरक की यातनाएं भी झेलनी पड़ती हैं।

गरुड़ पुराण मरने के कितने दिन बाद होता है दूसरा जन्म जान लें जवाब?

गरुड़ पुराण के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो आत्मा को नया जन्म मिलने में अलग-अलग समय लगता है. कोई आत्मा तत्काल ही दूसरा जन्म ले लेती है, तो किसी को 3 दिन लगते हैं. वहीं किसी को 10 और किसी को 13 दिन का समय भी लगता है. यह सब कुछ मनुष्य के जीवन में किए गए कर्मों के आधार पर होता है.

मृत्यु के समय क्या दिखाई देता है?

जिस व्यक्ति की मृत्यु का समय पास आने लगता है उस व्यक्ति को पानी, तेल, घी या आईने में अपनी परछाई दिखाई देना बंद हो जाती है। शिवपुराण के अनुसार, जब व्यक्ति को परछाई दिखाई देना बंद हो जाती है। तो ऐसा व्यक्ति के पास बहुत कम टाइम बचा होता है।

गरुड़ पुराण कौन पढ़ सकता है, किसे और कब पढ़ना चाहिए गरुड़ पुराण ?
लेकिन गरुड़ पुराण पाठ किसी परिजन की मृत्यु के पहले या कभी भी पढ़ा जा सकता है. जो व्यक्ति इसे पढ़ने की इच्छा रखता है वह इसे पढ़ सकता है. पवित्रता और शुद्ध मन के साथ गरुड़ पुराण का पाठ किया जा सकता है |
गरुड़ पुराण का पाठ करने से उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसीलिए इस पाठ करना जरुरी माना गया है. इस बात का सवाल आता है कि क्या जीवित मनुष्य गरुड़ पुराण का पाठ पढ़ सकता है, कोई भी जीवित इस पाठ को कर सकता है. ऐसा इसीलिए है क्योंकि इस पाठ में केवल मृत्यु ही नहीं, जीवन को उत्तम बनाने के रहस्य भी छिपे हुए हैं

मृत्यु के कितने दिन बाद जन्म मिलता है?
मृत्यु के तीसरे दिन से लेकर 40 दिन के अंदर पुनर्जन्म होता है।

गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है?
गरुड़ पुराण में वर्णित है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा मृत्यु के देवता यमराज के पास जाती है । फिर वह यमलोक जाती है जहां यमराज व्यक्ति के कर्मों के आधार पर पृथ्वी पर उसका न्याय करते हैं। बुरे कर्म करने वाले व्यक्ति की आत्मा को नर्क की यातनाएं झेलनी पड़ती हैं।

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