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अजीबोगरीब घटना

मुखिया की हवेली के बाहर खड़ा होकर चिल्ला रहा था। कह रहा था, गजब हो गया पठान साब… ! हमारे पिताजी अपनी कब्र में नहीं हैं!

पठान बोला, (जो गांव का मुखिया भी था।) भला कब्र से कोई कैसे गायब हो सकता है? चारों ओर ढूंढा गया, आस पास के सब चोरों को पकड़ा गया, ऐसे लोग जो गड़बडिये होते हैं, उन्हें पकड़ा गया लेकिन कुछ पता नहीं चला .तब चौधरी के लड़के ने कहा, “कहीं यह हमारे पिताजी के सम्बंध की दूसरी गड़बड़ न हो…!”

पठान बोला, “दूसरी गड़बड़ क्या हो सकती है?”

उसने कहा कि, “हमारे पिताजी को एक बार हमने किसी से कहते सुना था कि, हम मुखिया की अम्मी से बहुत मोहब्बत करते हैं। कहीं ऐसा ना हो पिताजी आपकी अम्मी जान की कब्र में पहुंच गए हों…”

“लाहौल विला कूव्वत यह तुम क्या कह रहे हो, कहीं ऐसा हुआ करता है…?”

चौधरी का लड़का बोला, “हमने तो पहले ही कहा था, पिताजी को जला लेने दीजिए, नहीं तो हमारे यहां दबाने से उनके भीतर का जाटपन परेशान कर सकता है।”

असल में हुआ यूं था कि, 17वीं शताब्दी में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, मुसलमानों के एक गांव में कुछ जाट भी रहते थे। खेतीबाड़ी करके अपना जीन निर्वाह करते थे। उस गांव का मुखिया मुसलमानों की बादशाही के कारण एक मुसलमान पठान था। एक रोज ऐसा हुआ, कि, एक वृद्ध जाट का देहान्त हो गया। गुजर जाने पर उनकी अंत्येष्टि की चिंता की गई और जैसा हिंदुओं में होता है, उनके लिए लकड़ी और घी जुटाया जाने लगा। लेकिन यह गुलामी का काल था, मुसलमानों ने दबाव बनाया कि तुम्हें अपने पिता को दफनाना पड़ेगा। बेचारे लड़के ने बहुत कोशिश की… कि पिताजी की विधिपूर्वक अंत्येष्टि कर सके। लेकिन मुसलमानों के दबाव में मन को मार कर आखिरकार उसे पिता को दफनाना पड़ा। दफना कर घर आया, रात में बिस्तर पर पड़ा, तो नींद नहीं आई।सारी रात करवट बदलता रहा, सोचता रहा पिताजी को गति नहीं मिलेगी; मैंने बहुत बुरा किया। मजबूर होकर वही करना पड़ा जिसमे जीवन और परिवार सुरक्षित रहे।

किंतु मन न माना तब इस लड़के को एक तरकीब सूझी, अगली रात यह चुपके से कब्रिस्तान में पहुंचा; और अपने पिता की कब्र में से उनकी लाश निकालकर, मुखिया की अम्मा की कब्र के पास दबा दी और पिता की कब्र को अच्छे से बंद कर दिया।

अब जाकर मुखिया के घर के बाहर शोर मचा दिया, कहा कि “मुझे रात सपना आया है, कि “मेरे पिताजी कब्र में नहीं है; इसलिए मैं कब्र को खोल कर देखना चाहता हूं।” सारे मुसलमान बोले, “क्या जहालत की बातें करते हो? भला यह सपने क्या सच्चे हुआ करते हैं? भला ऐसा कभी हो सकता है, कि दफन की गई लाश कब्र में ना हो?”

लेकिन लड़का रोने लगा, अपने साथ 10 और लोगों को लाया था, वह भी शोर मचाने लगे….। मुसलमानों को लगा, कि यह मुर्ख हिंदू अंधविश्वासी हैं, इसीलिए ऐसे अंधविश्वासियों को सत्य दिखाकर उनका मुंह चुप किया जा सकता है। उन्होंने कहा चलो, कब्र उखाड़ कर दिखा देते हैं, कि चौधरी की लाश वहीं पर है। सभी जन कब्रिस्तान जा पहुंचे। कब्रिस्तान में पहुंचने पर कब्र की खुदाई की गई, लेकिन वहां लाश नहीं मिली, शोर मच गया कहां गई लाश…? आसपास पता किया गया, लोगों से पूछा गया, किसी ने देखा है क्या कब्रिस्तान में किसी को आते जाते..? कब्रिस्तान में उल्टी-सीधी क्रिया करने वाले लोगों को पकड़ा गया, मार पिटाई की गई, उनसे पूछा गया, लेकिन कुछ पता नहीं चल सका, तब योजना के अनुसार उस लड़के ने कहा, कि “मुखिया जी मेरे पिता जब जीवित थे, तो मैंने एक बार उन्हे अपने ताऊ से बात करते सुना था, कि वें आपकी अम्मी से बहुत मुहब्बत करते हैं।”

मुखिया गुस्से से लाल हो गया, चीखकर बोला ….”क्या कहते हो, खबीस! तुम्हारी इतनी जुर्रत…..!”

लड़का बोला, “नाराज ना हो पठान साहब जिसने यह कहा था वह तो मर गए। किंतु अब समस्या का समाधान ढूंढा जाए, मेरे पिताजी बहुत ठरकी आदमी थे, कहीं ऐसा ना हो, कि वह कब्र से नीचे खिसक खिसक कर आपकी अम्मी के पास पहुंच गए हो ..

पठान मुखिया बोले: “लाहौलविलाकूव्वत यह क्या कह रहे हो तुम? यह क्या जहालत है? कहीं ऐसा हुआ करता है?”

लड़का बोला: “हमारे खानदान में यह समस्या है, कि यदि हमारे मुर्दे को जलाया न जाए, तो वह जहां रखे जाएं वहां से खिसक जाते हैं। कहीं ऐसा ना हो पिताजी अपनी कब्र से खिसक कर आपकी अम्मी के पास पहुंच गए हों…!”

पठान क्रोधित तो हुए, किंतु फिर भी अम्मी जान का मसला था, सवाल इज्जत का था; अपनी भी और अम्मी की भी….

इसलिए जांच करनी जरूरी थी। उन्होंने सोचा, एक बार कब्र खुदवाने में कोई समस्या तो नहीं है। तुरन्त कब्र खोदी गई …और पठान साहब की आंखें फटी रह गई… ठरकी बूढ़ा जाट वही अम्मी के साथ, एक हाथ और एक पैर अम्मीजान के ऊपर रखे हुए पड़ा था। पठान साहब का तो मानो जिस्म में रूह नहीं रही, चेहरा फक्क सफेद पड़ गया।

या अल्लाह यह क्या हो गया…?

उन्होंने तुरंत दिवंगत चौधरी के लड़के से कहा, कि “तुरन्त अपने पिता को उठाओ यहां से और इसे लेकर हमारे किसी कब्रिस्तान के पास से भी मत गुजरना। हमारे हर कब्रिस्तान में औरतें दफन है। तुम्हारे बाप का कोई भरोसा नहीं, ले जाओ और जलाओ, चाहे जो करो …लेकिन हमारे कब्रिस्तान में किसी कब्रिस्तान में तुम्हारे पिता को कोई जगह नहीं मिलेगी।”

लड़का अपनी योजना पर झूम उठा, खुशी-खुशी अपने पिता को लेकर आया और विधि पूर्वक अंत्येष्टि की, उस दिन घर आकर सपरिवार हवन किया, रात में चैन की नींद सोया। स्वप्न में देखा, मानो पिता प्रसन्नता से बुद्धिमान पुत्र को आशीर्वाद दे रहे हैं।

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