एक घने जंगल में एक बारहसिंगा रहता था । एक दिन वह एक तालाब किनारे पानी पीने पहुंचा । उस दिन तालाब का पानी एकदम साफ था ।इसीलिए बारहसिंगे को अपना प्रतिबिंब तालाब में साफ साफ दिखाई दे रहा था।
इतने में उसे अपने टेढ़े मेढ़े सींग उस तालाब के पानी में प्रतिबिंब के रूप में दिखाई दिए ।जो बहुत सुंदर लग रहे थे।
अब वह मन ही मन अपने सींगों को देखकर बहुत खुश हुआ। लेकिन अचानक उसकी नजर अपने दुबले पतले व लंबे टांगों पर पड़ी तो उसे बहुत बुरा लगा। उसने सोचा कि यही दुबली पतली टांगें मेरे पूरे शरीर की सुंदरता को खराब कर रही हैं ।काश यह नहीं होती तो मैं कितना सुंदर होता।
अभी यह सोच ही रहा था कि उसे सामने से एक शेर आता हुआ दिखाई दिया ।मौत को सामने से आता हुआ देख वह भाग खड़ा हुआ। और उन्हीं दुबली पतली टांगों की बदौलत वह काफी दूर निकल गया। लेकिन शेर भी उसका पीछा करता रहा।
जब वह अपनी जान बचाने की जुगत में भाग रहा था। तभी एक झाड़ी में उसके आड़े तिरछे सींग फंस गए ।उसने काफी कोशिश की लेकिन वह अपने सीगों को झाड़ी से नहीं निकाल पाया ।
इतनी देर में शेर उसका पीछा करते करते उसके बेहद करीब आ पहुंचा ।लेकिन अपने लगातार प्रयास से जैसे तैसे उसने अपने टेढ़े मेढ़े सींगों को उस झाड़ी से निकाल कर भागने में कामयाब हो गया। और शेर से काफी दूर निकल गया ।उस दिन उसकी जान जैसे तैसे बच गई ।
अब तक उसे समझ में आ गया कि आज इन बदसूरत सी दिखने वाली टांगों की वजह से ही वह बच गया। और उसका अभिमान चूर चूर हो गया।
Moral Of The Story
सुंदर दिखने वाली चीज अच्छी ही हो , यह जरूरी नहीं है ।इसीलिए अपनी सुंदरता पर कभी अभिमान नहीं करना चाहिए।