यह कहानी स्वामी विवेकानंद की है जो एक बार थैले में कुछ खाना लेकर जंगल से गुजर रहे थे। तभी कुछ बंदर उनका पीछा कर रहे थे। शायद बंदरों को उनके पास रखा हुए खाने का सुगंध मिल चुका था। इसी वजह से बहुत सारें बंदर उनका पीछा कर रहे थे। स्वामी जी शुरुआत में उन बंदरों से डर गए और इस वजह से वे भागने लगे। जब वह भाग रहे थे।
तब उन्होंने सोचा कि वह कब तक इन बंदरों से भागते रहेंगे। उन्होंने अपना हौसला बढ़ाया और वही खड़े होकर बंदरों को भगाने लगे। उन्होंने उनका सामना भी किया। कुछ देर बाद बंदर वहां से भाग गए।
यह कहानी हमें बहुत कुछ सिखाती है की हमें कभी भी परेशानियों से भागना नहीं चाहिए। बल्कि उसका डटकर सामना करना चाहिए। इस कहानी में देखें तो बंदर स्वामी विवेकानंद के सामने एक समस्या बनकर आए थे। शुरुआत में वे उनसे भागने लगे थे जिससे कि बंदरों का मनोबल बढ़ गया और वह ज्यादा तेजी से उन्हें डराने लगे। लेकिन जब स्वामी विवेकानंद ने रुककर उनका डटकर सामना किया तब वह सारे बंदर वहां से भाग गए। इसी तरह से हमें भी परेशानियों का डटकर सामना करना है अगर हम परेशानियों से भागेंगे तो हमारी परेशानियां बढ़ती ही जाएगी।