Breaking News

स्विट्जरलैंड

*स्विट्जरलैंड*
नाम तो आपने सुना ही होगा ‘स्विट्जरलैंड’।
ऐसा देश जहाँ दुनियां का हर शादीशुदा जोड़ा अपना हनीमून मनाने के ख्वाब देखता हैं।
बर्फीली वादियों से ढका ये देश सुंदरता की अद्भुत कृति है। हरियाली हो या बर्फ, आंखे जिधर भी जाये पलक झपकना भूल जाये।
दुनिया का सबसे सम्पन्न देश हैं स्विट्जरलैंड! हर प्रकार से सम्पन्न इस देश की एक रोचक कहानी बताता हूँ।
आज से लगभग 50 साल पहले स्विट्जरलैंड में एक प्राइवेट बैंक की स्थापना हुई जिसका नाम था ‘स्विसबैंक’।
इस बैंक के नियम दुनिया की अन्य बैंको से भिन्न थे।
ये स्विसबैंक अपने ग्राहकों से उसके पैसे के रखरखाव और गोपनीयता के बदले उल्टा ग्राहक से पैसे वसूलती थी।
साथ ही गोपनीयता की गारंटी।
न ग्राहक से पूछना की पैसा कहां से आया ?
न कोई सवाल न बाध्यता।
सालभर में इस बैंक की ख्याति विश्वभर में फैल चुकी थी।
चोर, बेईमान नेता, माफिया, तस्कर और बड़े बिजनेसमेन इन सबकी पहली पसंद बन चुकी थी स्विस बैंक।
बैंक का एक ही नियम था।
रिचार्ज कार्ड की तरह एक नम्बर खाता धारक को दिया जाता, साथ ही एक पासवर्ड दिया जाता बस।
जिसके पास वह नम्बर होगा बैंक उसी को जानता था।
न डिटेल, न आगे पीछे की पूछताछ होती।
लेकिन
*बैंक का एक नियम था कि अगर सात साल तक कोई ट्रांजेक्शन नही हुआ या खाते को सात साल तक नही छेड़ा गया तो बैंक खाता सीज करके रकम पर अधिकार जमा कर लेगा।*
*सात वर्ष तक ट्रांजेक्शन न होने की सूरत में रकम बैंक की।*
अब रोज दुनियाभर में न जाने कितने माफिया मारे जाते हैं। नेता पकड़े जाते हैं।
कितने तस्कर पकड़े या मारे जाते है, कितनो को उम्रकैद होती है।
ऐसी स्थिति में न जाने कितने ऐसे खाते थे जो बैंक में सीज हो चुके थे।
सन् 2000 की नई सदी के अवसर पर बैंक ने ऐसे खातों को खोला
तो उनमें मिला कालाधन पूरी दुनिया के 40% काले धन के बराबर था।
*पूरी दुनियां का लगभग आधा कालाधन।*
ये रकम हमारी कल्पना से बाहर हैं।
शायद
*बैंक भी नही समझ पा रहा था कि क्या किया जाए इस रकम का।*
क्या करें, क्या करे।
ये सोचते सोचते बैंक ने एक घोषणा की और
*पूरे स्विट्जरलैंड के नागरिकों से राय मांगी की इस रकम का क्या करे।*
साथ ही बैंक ने कहा कि
*देश के नागरिक चाहे तो ये रकम बैंक उन्हें बांट सकता हैं*
और प्रत्येक नागरिक को एक करोड़ की रकम मिल जाएगी।
सरकार की तरफ से 15 दिन चले सर्वे में 99.2% लोगों की राय थी कि इस रकम को देश की सुंदरता बढ़ाने में और विदेशी पर्यटकों की सुख सुविधाओं और विकास में खर्च किया जाए।
सर्वे के नतीजे हम भारतीयों के लिये चौंकाने वाले है
लेकिन राष्ट्रभक्त स्विटरजरलैंड की जनता के लिये ये साधारण बात थी।
*उन्होंने हराम के पैसों को नकार दिया। मुफ्त नही चाहिये ये स्पष्ट सर्वे हुआ।*
चौंकाने वाला काम दूसरे दिन हुआ।
25 जनवरी 2000 को स्विट्जरलैंड की जनता बैनर लेकर सरकारी सर्वे चैनल के बाहर खड़ी थी।
उनका कहना था जो 0.8% लोग हैं मुफ्त की खाने वाले, उनके नाम सार्वजनिक करो।
ये समाज पर और स्विट्जरलैंड पर कलंक है।
काफी मशक्कत के बाद सरकार ने मुफ्त की मांग करने वालो को दंडित करने का आश्वासन दिया, तब जनता शांत हुई।
और हमारे भारत में सब कुछ मुफ्त चाहिए। इसके इलावा टैक्स चोरी, बिजली चोरी, कामचोरी,,,,,, मेरा भारत महान,,,,।
*स्विट्जरलैंड*
नाम तो आपने सुना ही होगा ‘स्विट्जरलैंड’।
ऐसा देश जहाँ दुनियां का हर शादीशुदा जोड़ा अपना हनीमून मनाने के ख्वाब देखता हैं।
बर्फीली वादियों से ढका ये देश सुंदरता की अद्भुत कृति है। हरियाली हो या बर्फ, आंखे जिधर भी जाये पलक झपकना भूल जाये।
दुनिया का सबसे सम्पन्न देश हैं स्विट्जरलैंड! हर प्रकार से सम्पन्न इस देश की एक रोचक कहानी बताता हूँ।
आज से लगभग 50 साल पहले स्विट्जरलैंड में एक प्राइवेट बैंक की स्थापना हुई जिसका नाम था ‘स्विसबैंक’।
इस बैंक के नियम दुनिया की अन्य बैंको से भिन्न थे।
ये स्विसबैंक अपने ग्राहकों से उसके पैसे के रखरखाव और गोपनीयता के बदले उल्टा ग्राहक से पैसे वसूलती थी।
साथ ही गोपनीयता की गारंटी।
न ग्राहक से पूछना की पैसा कहां से आया ?
न कोई सवाल न बाध्यता।
सालभर में इस बैंक की ख्याति विश्वभर में फैल चुकी थी।
चोर, बेईमान नेता, माफिया, तस्कर और बड़े बिजनेसमेन इन सबकी पहली पसंद बन चुकी थी स्विस बैंक।
बैंक का एक ही नियम था।
रिचार्ज कार्ड की तरह एक नम्बर खाता धारक को दिया जाता, साथ ही एक पासवर्ड दिया जाता बस।
जिसके पास वह नम्बर होगा बैंक उसी को जानता था।
न डिटेल, न आगे पीछे की पूछताछ होती।
लेकिन
*बैंक का एक नियम था कि अगर सात साल तक कोई ट्रांजेक्शन नही हुआ या खाते को सात साल तक नही छेड़ा गया तो बैंक खाता सीज करके रकम पर अधिकार जमा कर लेगा।*
*सात वर्ष तक ट्रांजेक्शन न होने की सूरत में रकम बैंक की।*
अब रोज दुनियाभर में न जाने कितने माफिया मारे जाते हैं। नेता पकड़े जाते हैं।
कितने तस्कर पकड़े या मारे जाते है, कितनो को उम्रकैद होती है।
ऐसी स्थिति में न जाने कितने ऐसे खाते थे जो बैंक में सीज हो चुके थे।
सन् 2000 की नई सदी के अवसर पर बैंक ने ऐसे खातों को खोला
तो उनमें मिला कालाधन पूरी दुनिया के 40% काले धन के बराबर था।
*पूरी दुनियां का लगभग आधा कालाधन।*
ये रकम हमारी कल्पना से बाहर हैं।
शायद
*बैंक भी नही समझ पा रहा था कि क्या किया जाए इस रकम का।*
क्या करें, क्या करे।
ये सोचते सोचते बैंक ने एक घोषणा की और
*पूरे स्विट्जरलैंड के नागरिकों से राय मांगी की इस रकम का क्या करे।*
साथ ही बैंक ने कहा कि
*देश के नागरिक चाहे तो ये रकम बैंक उन्हें बांट सकता हैं*
और प्रत्येक नागरिक को एक करोड़ की रकम मिल जाएगी।
सरकार की तरफ से 15 दिन चले सर्वे में 99.2% लोगों की राय थी कि इस रकम को देश की सुंदरता बढ़ाने में और विदेशी पर्यटकों की सुख सुविधाओं और विकास में खर्च किया जाए।
सर्वे के नतीजे हम भारतीयों के लिये चौंकाने वाले है
लेकिन राष्ट्रभक्त स्विटरजरलैंड की जनता के लिये ये साधारण बात थी।
*उन्होंने हराम के पैसों को नकार दिया। मुफ्त नही चाहिये ये स्पष्ट सर्वे हुआ।*
चौंकाने वाला काम दूसरे दिन हुआ।
25 जनवरी 2000 को स्विट्जरलैंड की जनता बैनर लेकर सरकारी सर्वे चैनल के बाहर खड़ी थी।
उनका कहना था जो 0.8% लोग हैं मुफ्त की खाने वाले, उनके नाम सार्वजनिक करो।
ये समाज पर और स्विट्जरलैंड पर कलंक है।
काफी मशक्कत के बाद सरकार ने मुफ्त की मांग करने वालो को दंडित करने का आश्वासन दिया, तब जनता शांत हुई।
और हमारे भारत में सब कुछ मुफ्त चाहिए। इसके इलावा टैक्स चोरी, बिजली चोरी, कामचोरी,,,,,, मेरा भारत महान,,,,।

English Translation

*Switzerland*
You must have heard the name ‘Switzerland’.
A country where every married couple in the world sees the dream of celebrating their honeymoon.
This country covered with icy plains is a wonderful work of beauty. Be it greenery or snow, wherever the eyes go, forget to blink an eyelid.
Switzerland is the most prosperous country in the world! I tell an interesting story of this rich country in every way.
About 50 years ago, a private bank was established in Switzerland called ‘Swissbank’.
The rules of this bank were different from other banks in the world.
This Swissbank used to collect money from its customers in return for the maintenance and confidentiality of its money.
Also guaranteed privacy.
Don’t ask the customer from where did the money come from?
No question nor compulsion.
The fame of this bank had spread worldwide in a year.
Swiss bank had become the first choice of all the thieves, dishonest leaders, mafia, smugglers and big businessmen.
The bank had only one rule.
Just like a recharge card, a number would be given to the account holder, along with a password.
The bank knew the person who would have that number.
There would be no details, no further back-and-forth inquiries.
but
* There was a rule of the bank that if there is no transaction for seven years or the account is not teased for seven years, the bank will seize the account and deposit the rights on the amount. *
* In case the transaction is not completed for seven years, the amount will be charged by the bank. *
Now, how many mafia are killed everyday in the world. Leaders are caught.
How many smugglers are caught or killed, how many are given life imprisonment.
In such a situation, there were no such accounts that were seized in the bank.
The bank opened such accounts on the occasion of the new century of 2000
So the black money found in them was equal to 40% of the world’s black money.
* Almost half of the world’s black money. *
These amounts are out of our imagination.
Maybe
* Even the bank could not understand what to do with this amount. *
What to do, what to do.
Thinking this, the bank made an announcement and
* Seeked opinion from citizens of whole Switzerland what to do with this amount. *
The bank also said that
* If the citizens of the country, the bank can distribute this amount to them *
And every citizen will get an amount of one crore.
In the 15-day survey conducted by the government, 99.2% of the people were of the opinion that this amount should be spent in enhancing the beauty of the country and in the amenities and development of foreign tourists.
The results of the survey are shocking for us Indians.
But it was a common thing for the people of nationalist Switzerland.
* He denied the money of Haram. This clear survey is not free. *
The shocking thing happened on the second day.
On 25 January 2000 the people of Switzerland stood outside the government survey channel carrying the banner.
They said that 0.8% of people are free eaters, make their names public.
It is a stigma on society and on Switzerland.
After a lot of effort, the government assured to punish those asking for free, then the public was calm.
And in our India everything is needed free of cost. Apart from this, tax evasion, power theft, lynching,,,,,, my India is great,,,,.

 

Check Also

khilji

भ्रष्ट्राचारियों के साथ कैसा बर्ताव होना चाहिए?

भ्रष्ट्राचारियों के साथ कैसा बर्ताव होना चाहिए, उसका उदाहरण हमारे इतिहास में घटी एक घटना से मिलता है। यह सजा भी किसी राजा या सरकार द्वारा नही बल्कि उसके परिजन द्वारा ही दी गई।