रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया। रघुकुल नंदन कब आओगे भिलनी की नगरिया॥ मैं शबरी भिलनी की जाई, भजन भाव ना जानु रे। राम तेरे दर्शन के कारण वैन में जीवन पालूं रे॥ चरणकमल से निर्मल करदो दासी की झोपड़िया॥ रोज सवेरे वन में जाकर फल चुन चुन के लाऊंगी। अपने …
Read More »